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केन बेतवा परियोजना पर कमल नाथ ने जताई आपत्ति, कहा, मोदी सरकार के दबाव में झुक गई शिवराज सरकार

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने तो यहां तक कहा है कि उन्होंने इस परियोजना को लेकर दस साल पहले भी सुझाव दिए थे, बीजेपी सरकारों द्वारा किया गया यह समझौता पन्ना टाइगर रिजर्व को तबाह कर देगा
भोपाल। उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की बीजेपी शासित सरकार के बीच केन बेतवा लिंक परियोजना को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने इस लिंक परियोजना की खामियां गिनाई हैं। पीसीसी चीफ कमल नाथ ने एमपी और बीजेपी सरकार के बीच हुए समझौते को लेकर कहा है कि मोदी सरकार के दबाव में शिवराज सरकार को इस परियोजना को मानने के लिए तैयार हो गई।
कमल नाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इस परियोजना के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व के होने वाले नुकसान का मसला उठाया है। कमल नाथ ने कहा है कि इस परियोजना की वजह से पन्ना टाइगर रिजर्व का ज़्यादातर हिस्सा डूब जाएगा। जयराम रमेश ने तो यहां तक कहा है कि उन्होंने दस साल पहले ही इस परियोजना को लेकर सुझाव दिए थे।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि, वर्षों से लंबित केन-बेतवा लिंक परियोजना का एमओयू हस्ताक्षर होना स्वागत योग्य है। इस परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र का विकास होगा लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार के दबाव में शिवराज सरकार ने अनुबंध की शर्तों के विपरीत कई मुद्दों पर झुककर प्रदेश के हितो के साथ समझौता किया है।’
कमल नाथ ने आगे कहा कि इस योजना की शुरुआत वर्ष 2005 से हुई थी , 2008 में इसका खाका तैयार हुआ था , वर्षों से यह परियोजना लंबित थी , वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस परियोजना के अमल को लेकर केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे।
पीसीसी चीफ ने बताया कि इस परियोजना में तय अनुबंध की शर्तों के विपरीत मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पानी के बंटवारे लेकर मुख्य विवाद था।मध्यप्रदेश रबी सीजन के लिए 700 एमसीएम पानी उत्तप्रदेश को देने पर सहमत था लेकिन उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा अधिक मात्रा में पानी देने का दबाव बनाया जा रहा था। जबकि इस परियोजना से हमारे प्रदेश के कई गाँव , जंगल डूब रहे है , डूबत क्षेत्र के कई गाँवो का विस्थापन हमें करना पड़ेगा ,पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र की 5500 हेक्टेयर जमीन सहित करीब 9 हज़ार हेक्टेयर जमीन डूब में आ रही है , हमारा बड़ा क्षेत्र डूब रहा है ,कुछ पर्यावरण आपत्तियाँ भी थी।
कमल नाथ ने कहा कि चूंकि इस परियोजना से उत्तरप्रदेश को मध्यप्रदेश के मुक़ाबले अधिक लाभ होना है , इसलिये वर्षों से कई मुद्दों पर हमारी आपत्ति थी।लेकिन शिवराज सरकार ने मोदी सरकार के दबाव में कई मुद्दों पर झुककर प्रदेश के हितो के साथ समझौता किया है, प्रदेश हित के मुद्दों की अनदेखी की है।शिवराज सरकार को इस परियोजना को लेकर प्रारंभ में तय अनुबंधों की शर्तों, विवाद के प्रमुख बिंदुओ , इस परियोजना में मध्यप्रदेश के हितो की अनदेखी, नुक़सान पर ली गयी आपत्तियों व वर्तमान एमओयू में तय शर्तों की जानकारी सार्वजनिक कर प्रदेश की जनता को वास्तविकता बताना चाहिये।
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने परियोजना पर हस्ताक्षर होने से पहले ही कहा था कि आज यूपी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री केन और बेतवा नदी को लिंक करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। लेकिन यह समझौता एमपी के पन्ना रिजर्व को तबाह कर देगा। मैंने दस वर्ष पहले भी इस लेकर कुछ सुझाव दिए थे, लेकिन अब क्या ही किया जा सकता है?
केन बेतवा परियोजना के तहत मध्य प्रदेश की केन नदी और उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी को आपस में जोड़ा जाएगा। दोनों नदियों को जोड़ने की इस प्रक्रिया पर कुल 45 हज़ार करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। इस खर्च का 90 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार देगी।
केन-बेतवा परियोजना से बुंदेलखंड के लोगों को काफी फायदा होने की उम्मीद की जा रही है। बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश, दोनों राज्यों के इलाके शामिल हैं। नदी के आपस में जुड़ने से उत्तर प्रदेश के झांसी, बांदा, ललितपर, महोबा और मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना ज़िले के लोगों को फायदा मिलेगा। इस परियोजना से बुंदेलखंड के लोगों की पेयजल की किल्लत और सूखे का संकट समाप्त होने का दावा किया जाता है। हालांकि इस परियोजना के कारण पन्ना के टाइगर रिज़र्व का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब जाने की आशंका भी है।