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शंभू बॉर्डर पर जख्मी किसानों के शरीर से निकले पैलेट्स
पटियाला – ‘हम पुलिस से बहुत दूर खड़े थे। हमने पुलिस पर एक पत्थर तक नहीं फेंका, लेकिन उन्होंने हम पर आंसू गैस के गोले छोड़े। फिर गोली चलाने लगे। कुछ लड़के पुलिस की तरफ बढ़ रहे थे। मैं उन्हें रोक रहा था कि आगे मत जाओ। तभी मेरे सीने और आंख में बुलेट के छर्रे लगे। आंख से खून बह रहा था। मेरा दम घुट रहा था। दो साथी मुझे एम्बुलेंस तक ले गए। वॉलंटियर मुझे खनौरी के हॉस्पिटल ले गए। वहां से मुझे पटियाला रेफर कर दिया।’
फरीदकोट के रहने वाले 47 साल के बलविंदर सिंह 11 फरवरी को किसान आंदोलन में शामिल होने आए थे। हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर पुलिस की कथित फायरिंग में वे जख्मी हो गए। पटियाला के सरकारी मेडिकल कॉलेज राजिंदरा हॉस्पिटल में उनका इलाज चला।
फसलों की MSP पर गारंटी के लिए पंजाब और हरियाणा के किसान 13 फरवरी से आंदोलन कर रहे हैं। जाना उन्हें दिल्ली था, लेकिन पुलिस ने बॉर्डर पर ही रोक दिया। किसान आगे न बढ़ पाएं इसलिए पुलिस ने बॉर्डर पर सीमेंट के बैरियर और कंटीले तार लगा दिए। पहली बार ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराए गए। इसके बावजूद किसान एक हफ्ते से पटियाला के शंभू बॉर्डर और हरियाणा में हिसार-संगरूर के बीच खनौरी बॉर्डर पर ट्रैक्टर-ट्राली लेकर डटे हैं। प्रोटेस्ट में जख्मी किसानों का इलाज कर रहे संगठन खालसा ऐड का दावा है कि पुलिस ने किसानों पर पैलेट गन इस्तेमाल की है। शंभू बॉर्डर पार कर किसान हरियाणा में एंट्री करेंगे, इसलिए हरियाणा पुलिस उन्हें रोक रही है।