हाईस्कूल के शिक्षकों की वेतन पर होता आधा करोड़ खर्च:कहीं तीन, तो कहीं पांच छात्र हुए पास

भिंड में हाईस्कूल का रिजल्ट बेहद खराब

भिंड – भिंड में ऐसे कई स्कूल है जिनका रिजल्ट बेहद खराब रहा। 10वीं और 12वीं के इन सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर शासन एक एबरेज में आठ लाख प्रति वर्ष का पैकेज देती है। वहीं प्राचार्य काे भी मोटा पैकेज मिल रहा है। एक मोटा आंकड़ा यह हैकि हर साल एक हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल में छह से सात शिक्षकों पर आधा करोड़ से ज्यादा वेतन दिया जाता है। परंतु इन स्कूलों में जहां छात्रों की संख्या सीमित है। इसके बावजूद रिजल्ट बेहद चिंता जनक है।
दैनिक भास्कर ने ऐसे ही खराब रिजल्ट देने वाले स्कूलों की पड़ताल की। जिसमें सबसे ज्यादा बुरी स्थिति गर्वमेंट हाईस्कूल गड़पारा की देखने को मिली। यहां पदस्थ स्टाफ की संख्या अच्छी खासी है। इस स्कूल में कुल 24 हाईस्कूल परीक्षा में बैठने वाले छात्र थे। परंतु इन छात्रों में सिर्फ तीन छात्र ही पास हो सके हैं। शेष छात्रों का रिजल्ट खराब रहा यानी इस स्कूल का रिजल्ट 12.50 फीसदी रहा। यहीं स्थिति कानीपुरा हाईस्कूल की ही। यहां पर भी छात्रों की संख्या 42 थी।

यहां पर भी स्टाफ का कोई टोटा नहीं है। इस स्कूल का रिजल्ट 19.05 प्रतिशत रहा यानी सिर्फ आठ छात्र ही उत्तीर्ण हुए। इधर सरकारी हाईस्कूल गाता की रही। इस स्कूल में दर्ज छात्र संख्या 50 थी जिसमें 8 छात्र ही पास हुए यानी रिजल्ट का प्रतिशत 16 रहा। ऐसी हालत रतवा हाईस्कूल के रहे। इस स्कूल में छात्र संख्या 62 थी जिसमें से 11 पास हुए हैं। बाकी छात्रों का रिजल्ट खराब रहा।
दरअसल, भिंड जिले का रिजल्ट 29.33 फीसदी रहने के पीछे कारण यह हैकि शिक्षा विभाग के अफसरों ने मॉनीटिंग में ढील बरती। स्कूलों की चेकिंग के लिए नियमित उड़न दस्ता बनाकर नहीं की गई। स्कूलों में होने वाली पढ़ाई की गुणवत्ता जांच के लिए शिक्षा विभाग के अफसरों के पास टाइम नहीं था। यहीं कारण हैकि नियमित चेकिंग स्कूलों की नहीं हो सकी। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियमित उपस्थित नहीं रही। यहीं कारण हैकि रिजल्ट खराब रहा।
मोटी वेतन लेने वाले शिक्षक अब निजी काम में ज्यादा व्यस्त दिखाई देते है। भिंड व आसपास के क्षेत्र में यह शिक्षक सरकारी नौकरी के साथ व्यापार धंधे में उतर आए है। यही कारण है कि कुछ शिक्षक मैरिज गार्डन संचालक बन गए। तो कइयों ने प्लाटिंग का काम शुरू कर दिया। ज्यादातर शिक्षक अपनी खेतीबाड़ी काे नौकरी के टाइम में संभालते दिख जाएंगे।

राजनीति भी एक वजह

खराब रिजल्ट के पीछे एक वजह स्थानीय राजनीति है अधिकांश शिक्षक राजनेताओं से जुड़ गए है। जब कोई शिक्षक नियमित स्कूल से अनुपस्थित पाया जाता है। ऐसे शिक्षक को नोटिस दिया जाए। या फिर उस पर कार्रवाई की जाए तो स्थानीय राजनेताओं द्वारा शिक्षा विभाग के अफसरों पर दबाव बनाकर एक्शन होने से रोक दिया जाता है। इस वजह से सरकारी स्कूल के शिक्षकों में अब अफसरों का भय कम हो गया है।