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केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ बिल लाने में अड़ंगा, विधानसभा सत्र बुलाने में गवर्नर को एतराज

रायपुर। छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को बेअसर करने की राह में वहां की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने अड़ंगा लगा दिया है। इन कानूनों के खिलाफ विधेयक पास कराने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के प्रस्ताव को राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने 27 और 28 अक्टूबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा था। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मॉनसून सत्र के बाद अब फिर से विशेष सत्र की जरूरत पर सवाल उठाए।
राज्यपाल द्वारा प्रस्ताव को वापस लौटाए जाने पर प्रतिक्रया देते हुए राज्य के मुख्मंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उनकी सरकार राज्यपाल की आपत्तियों का जवाब देगी। उन्होंने कहा कि एक बहुमत वाली सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के कुछ सवाल हैं, जिनका जवाब वे जल्द से जल्द देंगे। इसके बाद भी अगर उनकी मंजूरी नहीं मिलती तब हम आगे की रणनीति तय करेंगे। भूपेश बघेल ने बीजेपी के ऊपर पर्दे के पीछे से राजनीति करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राजभवन को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए।
इससे पहले पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने आज केंद्रीय कृषि कानूनों को बेअसर करने के लिए विधानसभा में तीन विधेयक पारित कर दिए। शुरुआती विरोध के बावजूद आखिरकार तीनों विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिए गए। विधेयक पेश करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किए कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं और उनकी सरकार अपनी तरफ से नए कानून पारित करेगी।
देश में कांग्रेस शासित राज्य केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को निष्क्रिय करने के लिए इस तरह के कदम उठा रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें ऐसा करने का आदेश दिया है। दूसरे गैर कांग्रेसी और गैर बीजेपी शासित राज्य भी इस तरह के कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत से इन कृषि कानूनों का पुरजोर विरोध किया है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन कानूनों के विरोध में पंजाब और हरियाणा में ट्रैक्टर रैली भी निकाल चुके हैं। दूसरी तरफ केंद्र सरकार इन कानूनों को किसानों के भले के लिए लाया हुआ बता रही है।