पानी वाले बाबा महापौर से बोले:कान्ह नदी को मैंने आज देखा, वह आईसीयू में है

बीमारी दिल की, इलाज कॉस्मेटिक का करा रहे, सही डॉक्टर ढूंढ़ें

इंदौर – इंदौर मालवा का पानीदार शहर है। अभी भी कुछ भी नहीं बिगड़ा है। पानी के सबसे बड़े स्रोत कान्ह-सरस्वती नदी, कुएं, बावड़ी और तालाबों का सही इलाज करवा लें तो बेंगलुरु जैसी नौबत नहीं आएंगी। कान्ह नदी को मैंने आज प्रत्यक्ष देखा, वह इंदौर की जीवन रेखा है। वर्तमान में आईसीयू में भर्ती है। उसे अच्छे डॉक्टर की जरूरत है। नदी को बीमारी दिल की है और इलाज कॉस्मेटिक सर्जन से करवा रहे हैं।
कान्ह को देखकर मुझे बनारस का किस्सा याद आता है, जब आजादी से पहले अंग्रेज कमिश्नर ने गंगा के ब्यूटीफिकेशन के लिए 20 लाख का लालच देकर बनारस के तीन गंदे नालों को गंगा में छोड़ दिया था। मेरी विनती है कि इंदौर कान्ह के लिए ऐसा नहीं करे। एक और बात इंदौर में जल साक्षरता की बहुत जरूरत है। नर्मदा से पानी आने के बाद धरती के पेट से इतना ज्यादा पानी लेना धरती की सेहत के लिए उचित नहीं है।
यह मशविरा पानी वाले बाबा के नाम से मशहूर मैग्सेसे अवार्डी राजेंद्र सिंह ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव व शहर की संस्थाओं को दिया। प्रेस क्लब सभागृह में सेवा सुरभि ने ‘बेंगलुरु जैसे जल संकट से बचने क्या करे इंदौर? पर सेमिनार किया।

मैग्सेसे अवार्डी राजेंद्र सिंह ने कहा- नदी से कब्जे हटाएं, फ्लो बनाएं

उन्होंने सुझाव दिया कि नगर निगम को जल स्रोत बचाने का संवैधानिक अधिकार है। नदी इंदौर की शान है। इसे बचाने के लिए तीन काम करना होंगे। नदी का सीमांकन करें। अतिक्रमण हटाएं और कैचमेंट से नदी का फ्लो बनाएं रखें।
किसी भी नदी के तीन लिए तीन जोन होते हैं। ब्ल्यू जोन इसमें नदी बहती है। दूसरा ग्रीन जोन, यह जोन नदी में पानी की अधिकतम सीमा है, यह नदी को जिंदा रखता है। रेड जोन जहां 100 साल में एक बार पानी पहुंचता है। मैंने देखा यहां तीनों जोन बीमार है। इन्हें सुधारें।
तीसरी बात तालाब नदी के लिए सतही स्त्रोत है। यहां नदी का प्रवाह तालाबों से बना है। इस पर ध्यान दें।
सिंह ने कहा कि मैं 1994 से इंदौर आ रहा हूं। यह शहर समस्याओं के सामूहिक निराकरण के लिए पहचाना जाता है। बेंगलुरु की समस्या बड़ी नहीं है। इंदौर की परिस्थितियां अलग हैं। इंदौर की आगामी पीढ़ी को स्वस्थ्य रखना है तो नदी की सेहत सुधारना जरूरी है। देखने में आया है कि यहां के जल स्रोतों पर अतिक्रमण हो गया है। इन्हें मुक्त करके पुनर्जी​वन दें।
उन्होंने कहा कि वॉटर रिचार्जिंग और हार्वेस्टिंग के आंकडे अच्छे हैं। इसे बड़े पैमाने पर करने से पहले धरती की तासीर किसी अच्छे वैज्ञानिक से जंचवाएं। यह हर जगह सफल नहीं होता है। इसके लिए धरती के फेक्चर देखना होते हैं। जिससे पानी धरती के अंदर जा सकें।