कोरोना पर गंभीरता नहीं होने के कारण प्रदेश में संक्रमण चार गुना हो गया, लेकिन खर्च बचाने के लिए टेस्टिंग नहीं बढ़ा रही सरकार

  • कोरोना टेस्ट कम करने पर केंद्र सरकार ने भी मध्यप्रदेश सरकार की खिंचाई की

कोरोना के रिटर्न अटैक ने लोगों को फिर चिंता में डाल दिया है। शिवराज सरकार गंभीर होने का दिखावा जरूर कर रही है, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। एक महीने में चार गुना संक्रमण बढ़ने के बावजूद राज्य सरकार ने टेस्टिंग की संख्या नहीं बढ़ाई। बताया जा रहा है कि सरकार खर्च नहीं बढ़ाना चाहती, इसलिए कोरोना की सीमित जांच की जा रही है।

फरवरी में जब केस घटे, तो सरकार ने जांच की संख्या 40 से 50 फीसदी तक घटा दी। अब केस जनवरी की तुलना में चार से पांच गुना हो गए हैं, बावजूद जांच बिल्कुल नहीं बढ़ाई जा रही। इसके उलट नाइट कर्फ्यू और अन्य सख्ती लागू कर सरकार खुद को गंभीर साबित करने में जुटी है। एक साल पहले सत्ता में लौटी शिवराज सरकार को कोरोना काल में लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है। खर्च बचाने के लिए दर्जनों उपाय हो सकते हैं, लेकिन सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए कोरोना की जांच ही कम करा दी।

सरकार ने जनवरी अंत से कोविड के टेस्ट करने में तेजी से हाथ खींचे। यह तेजी इस कदर थी कि 21 जनवरी तक जहां प्रदेश में रोजाना 24 हजार से ज्यादा जांचें हो रही थीं, लेकिन उसके बाद घटकर 16 हजार 413 पर आ गई। इसके बाद यह कभी नहीं बढ़ी। एक दिन पहले भी प्रदेश में 16 हजार के आसपास ही जांच की गई, जबकि मामले पहले से चार गुना हो गए हैं। संक्रमण दर 5% पार कर गई। यह फरवरी में 1% के आसपास ही थी। टेस्टिंग नहीं बढ़ाने पर केंद्र स्तर से भी सरकार की खिंचाई की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कम टेस्ट करने पर आपत्ति जताते हुए शिवराज सरकार से ज्यादा से ज्यादा RTPCR जांच करने को कहा है।

24 जनवरी के बाद घटती गई जांच

कोरोना संक्रमण बढ़ने का बड़ा कारण सरकार का उदासीन और लापरवाह रवैया रहा है। जनवरी अंत तक 25 से 26 हजार जांचें की गईं। इसमें एक सप्ताह में 40% की कटौती कर दी गई। 15 फरवरी के बाद से ही प्रदेश में कोरोना के आंकड़ों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई। इसके बावजूद सरकार ने संक्रमण रोकने को लेकर कोई गंभीर कदम नहीं उठाए।

इससे बच रही है सरकार

  • कोविड पॉजिटिव की सूचना मौखिक दी जा रही है, रिपोर्ट की कॉपी जनरेट नहीं हो रही है
  • काॅन्टैक्ट ट्रैसिंग का काम लगभग बंद कर दिया गया है, लोगों पर ही जांच छोड़ दी गई है।
  • कई माइल्ड संक्रमित लोग डर की वजह से जांच कराने नहीं जा रहे और इनके घूमने से संख्या बढ़ी।

वैक्सीनेशन के बाद बढ़ी लापरवाही

प्रदेश में 16 जनवरी को वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू हुआ। इसके शुरू होने के बाद जनता के साथ सरकार ने भी लापरवाही दिखाई। संक्रमण रोकने के प्रावधानों का सख्ती से पालन कराने की जगह सरकार ने सार्वजनिक और राजनीतिक कार्यक्रम सभी की छूट दे दी, लेकिन कोविड प्रावधानों का पालन कराने को लेकर माॅनिटरिंग सिस्टम नहीं बनाया।

सरकार ने भी चिंता छोड़ी

प्रदेश में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य संक्रमित को क्वारंटीन कर संक्रमण को फैलने से रोकना था। सितंबर-अक्टूबर 2020 में संक्रमितों की संख्या बढ़ने पर सरकार ने कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग बंद कर दी। इसके बाद संक्रमण धीरे-धीरे फील्ड में कोरोना जांच की सुविधा भी बंद कर दी, जबकि सरकार को टेस्टिंग के साथ कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग पर जोर देना था।

Leave a Comment