सोशल मीडिया पर लंबी पोस्ट लिखकर आसनसोल सांसद बाबुल सुप्रियो ने लिया संन्यास

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से दूसरी बार BJP सांसद बाबुल सुप्रियो ने राजनीति से संन्यास ले लिया है। उन्होंने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट लिखकर राजनीति छोड़ने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मैं 1 महीने के अंदर सांसद के पद से इस्तीफा देकर मुझे मिला सरकारी घर खाली कर दूंगा।

पिछले कुछ दिनों से उनके राजनीति से संन्यास लेने के कयास लगाए जा रहे थे। वे सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट लिख ये इशारा कर रहे थे। बाबुल सुप्रियो ने अपने फेसबुक अकाऊंट पर बांग्ला में राजनीति से संन्यास का ऐलान किया है। क्या लिखा है बाबुल ने, पढ़ें उन्हीं के शब्दों में….

चोललाम: यानी अब चलता हूं…

अलविदा!

मैंने सब कुछ सुना- पिता,मां, पत्नी, बेटी, एक-दो प्यारे दोस्त.. सबकी राय के बाद ऐसा महसूस हुआ कि मुझे अब राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। हां, लेकिन ये भी साफ कर दूं कि, मैं किसी और पार्टी में नहीं जा रहा हूं- #TMC, #कांग्रेस, #CPIM, कहीं नहीं। मुझे किसी दूसरी पार्टी के नेताओं ने फोन भी नहीं किया है। मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। मैं एक टीम प्लेयर हूं! हमेशा एक टीम का साथ दिया है #MohunBagan (बंगाल की फुटबॉल टीम मोहन बगान) और राजनीति में सिर्फ भाजपा (पश्चिम बंगाल) की है.. बस !!

कुछ देर रुके.. कुछ मन में रखा, कुछ तोड़ा.. कहीं अपने काम में तुम्हें खुश किया, कहीं निराश किया। आप आंकलन नहीं करेंगे। मन में आने वाले तमाम सवालों के जवाब देने के बाद कहता हूं.. अपनी तरह कहता हूं.. अब चलता हूं

यदि आप सामाजिक कार्य करना चाहते हैं, तो आप इसे राजनीति में आए बिना कर सकते हैं। पिछले कुछ दिनों में मैंने बार-बार सोचा और राजनीति छोड़ने का मन बनाया। आज मैंने फैसला कर लिया। माननीय अमित शाह और माननीय नड्डाजी के द्वारा हर तरह से प्रेरित करने के लिए मैं उनका सदा आभारी रहूंगा।

मैं उनके प्यार को कभी नहीं भूलूंगा। कहीं न कहीं हर कोई सोच सकता है कि मैं एक पद के लिए सौदेबाजी कर रहा हूं। लेकिन यह सच नहीं है, इसलिए इसे लेकर संदेह नहीं होना चाहिए। मैं प्रार्थना करता हूं कि वे मुझे गलत समझे बिना मुझे माफ कर देंगे। लेकिन मुझे एक सवाल का जवाब देना है क्योंकि यह प्रासंगिक है! सवाल यह है कि मैंने राजनीति क्यों छोड़ी? क्या इसका मंत्रालय छोड़ने से कोई लेना-देना है? हां है- वहां कुछ होना चाहिए! मैं घबराना नहीं चाहता, इसलिए जैसे ही इस प्रश्न का उत्तर दूंगा, यह ठीक होगा। इससे मुझे भी शांति मिलेगी।

2014 और 2019 में बहुत बड़ा अंतर है..

तब भाजपा के टिकट से मैं अकेला था (अहलुवालियाजी के सम्मान में – दार्जिलिंग सीट में जीजेएम भाजपा की सहयोगी थी) लेकिन आज भाजपा बंगाल में मुख्य विपक्षी दल है। आज पार्टी में कई नए युवा तुर्क नेता हैं और साथ ही कई वरिष्ठ नेता भी हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि उनकी अगुवाई वाली टीम यहां से काफी आगे जाएगी। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि आज पार्टी में किसी व्यक्ति का होना कोई बड़ी बात नहीं है और मेरा दृढ़ विश्वास है कि इसे स्वीकार करना ही सही निर्णय होगा!

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