स्कूल बंद करने को लेकर विक्रांत भूरिया की सीएम शिवराज को चेतावनी

मध्य प्रदेश यूथ कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया की वंचित वर्ग के लोगों से अपील, फुले, अंबेडकर और बिरसा मुंडा की तरह विरोध के लिए रहें तैयार ताकि कोई हमारी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त न कर सके।

दौर। मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को चेतावनी दी है। भूरिया ने कहा है कि यदि प्रदेश सरकार आदिवासी इलाकों के स्कूलों को बंद करने का कुत्सित प्रयास करेगी तो आदिवासी समाज सड़कों पर लड़ाई लड़कर अपना हक लेगा। भूरिया ने आरोप लगाया कि प्रदेश की शिवराज सरकार राज्य के आदिवासियों को शिक्षा से वंचित करने का षड्यंत्र रच रही है। उन्होंने वंचित समाज के लोगों से फुले, अंबेडकर और बिरसा मुंडा की तरह शोषण का विरोध करने की अपील भी की है।

विक्रांत भूरिया ने शनिवार को इंदौर के प्रेस क्लब में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘राज्य सरकार प्रदेश के जनजाति बाहुल्य जिलों के पौने 6 हजार स्कूल बंद करने का प्रयास कर रही है। युवक कांग्रेस की अपील पर प्रदेश के नौजवान बीजेपी की इस आदिवासी विरोधी साजिश का पुरजोर विरोध करेंगे। ज़रूरत पड़ी तो पूरे प्रदेश का वंचित समाज सड़कों पर उतर कर बीजेपी की घृणित मानसिकता को बेनकाब करेगा।’

सीएम का बेटा अमेरिका पढ़ेगा, हम अपने गांव में भी नहीं : भूरिया

युवा कांग्रेस नेता ने पूछा कि यह कैसी व्यवस्था है, जिसमें मुख्यमंत्री का बेटा पढ़ने के लिए अमेरिका जाता है, लेकिन जब बात आदिवासियों की आती है, तो उनके बच्चों को टोले, मंजरे और गांवों में भी पढ़ने से रोका जाता है। बीजेपी का यह असली चेहरा है। भाजपा दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के बच्चों को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहती है। आदिवासियों को शिक्षा से वंचित रखने की यह कोशिश शर्मनाक है और हम इसका सड़क से लेकर संसद तक विरोध करेंगे और अपनी आने वाली पीढ़ियों को उनका हक दिलाकर रहेंगे।

आदिवासी विधायकों ने नहीं बेची अपनी जमीर : भूरिया

भूरिया ने आगे कहा कि एक ओर कांग्रेस पार्टी है, जिसने शिक्षा की गारंटी जैसे कानून बनाए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के परिवारों के 25 से 40 बच्चों के स्कूल जाने योग्य होने पर टोले-मंजरों तक में हजारों स्कूल खोले। गरीब आदिवासी परिवारों के बच्चों के लिये आश्रम और छात्रावास खोलकर उन्हे मुख्य धारा में लाने का कार्य किया। वहीं दूसरी ओर कॉरपोरेट का हित साधने वाली बीजेपी है, जिसने कोरोना काल में जनमत चोरी करके अनैतिक सरकार बनाई और अब 5760 स्कूलों को बंद करने की कोशिश कर रही है।’

उन्होंने कहा कि राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग ने कांग्रेस की सरकार बनवाई थी। बीजेपी के अरबों रुपये के सरकार गिराने के खेल में बिसाहू लाल सिंह को छोड़कर एक भी आदिवासी विधायक नहीं फंसा। इस प्रदेश के गरीब आदिवासी विधायकों ने अपना जमीर जिंदा रखा और कांग्रेस पार्टी के प्रति वफादार बने रहे। तभी से शिवराज सिंह की आंखों में आदिवासी समुदाय खटक रहा है। यही कारण है कि शिवराज और भाजपा ने आदिवासियों के भविष्य को चौपट करने के लिये पौने छह हजार स्कूल बंद करने की चाल चली है।’

फुले, अंबेडकर और बिरसा की तरह विरोध करने की अपील

भूरिया ने वंचित तबके के लोगों से कहा कि वे फुले, अंबेडकर और बिरसा मुंडा की तरह शोषण का जमकर विरोध करें। उन्होंने कहा, ‘हमारी आदर्श सविता बाई फुले, डॉ. भीमराव अंबेडकर और बिरसा मुंडा की तरह शोषण का खुला विरोध करने के लिये वंचित वर्ग के लोग तैयार रहें ताकि कोई हमारी शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त न कर सके।’ युवा नेता ने शिवराज सरकार को चेतावनी दी है कि मालवा और महाकौशल के आदिवासी अंचल में चलने वाला एक भी स्कूल यदि बंद करने की कोशिश की, तो प्रदेश के तीन करोड़ अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग सड़कों पर उतर कर सरकार के कुत्सित प्रयास का सीधा विरोध करेंगे। इसलिए आदिवासियों की शिक्षा रोककर राजनैतिक बदला लेने की हिमाकत न करे।

क्या है मामला

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के आदिवासी इलाकों में पांच हजार से ज्यादा स्कूलों को बंद करने का फैसला किया है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी हाल के आदेश के मुताबिक राज्य के 20 जिलों के 89 आदिवासी ब्लॉक में संचालित हो रहे 5760 स्कूलों को बंद किया जाएगा। आदिवासी ब्लॉक में अब तक 10,506 स्कूल संचालित हो रहे थे। लेकिन सरकार के इस नए फैसले के तहत 5760 स्कूल बंद होने के बाद अब इन क्षेत्रों में 4746 ही स्कूल बच जाएंगे। ये सभी हॉयर सेकेंडरी स्कूल होंगे।

स्कूल बंद करने के लिए दिए जा रहे हैं अजीब तर्क

हैरान करने वाली बात यह है कि प्रदेश सरकार हज़ारों स्कूलों को बंद करने के पक्ष में अजीब दलीलें दे रही है। सरकार का कहना है कि इन आदिवासी ब्लॉकों में कई स्कूल बेहद ग्रामीण क्षेत्रों में थे, जहां शिक्षकों को हर दिन जाने में परेशानी होती थी। जबकि यहां छात्रों की संख्या भी ज्यादा नहीं रहती थी। इसलिए इन स्कूलों को बंद किया जा रहा है।

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