छिंदवाड़ा में बीजेपी का हुआ सूपड़ा साफ़, ग्राम पंचायत से लेकर महापौर में भी कांग्रेस का कब्जा

भोपाल- पूर्व मुख्य मंत्री एवम प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के गढ़ में 18 साल बाद निगम चुनाव में कांग्रेस ने महापौर के साथ साथ 26 वार्ड पार्षदों के साथ बड़ी जीत हासिल की है।18 साल बात मिली इस जीत पर राजनैतिक पंडितो ने गुणा भाग लगाना शुरू कर दिया है। मुख्य रूप से गौर किया जाए तो कुछ प्रमुख कारणों को बीजेपी की हार की वजह माना जा रहा है जिनके कारण भाजपा को छिंदवाड़ा में हार का स्वाद चखना पड़ा…..

प्रदेश अध्यक्ष रहते कमलनाथ के लिए अपने गढ़ में निगम चुनाव जीतना था प्रतिष्ठा का सवाल

प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने छिंदवाड़ा निगम चुनाव को पहली बार अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा देखा।पिछले 18 सालों से कमलनाथ के गढ़ में शहर की सरकार बीजेपी की है वह और बात थी,लेकिन इस बार कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पहली बार निगम चुनाव को कमलनाथ ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर प्रत्याशियो के लिए प्रचार किया।कमलनाथ ने पूरे दो दिन भरी बारिश में सिर्फ शहर सरकार के बदलाव के लिए कांग्रेस महापौर प्रत्याशी विक्रम अहाके के लिए रोड शो किया।

चुनाव में गुटबाजी की वजह से भाजपा की हुई हार,भाजपा कार्यकर्ताओं की सक्रिय नही होने से गिरा मतदान 8%

निगम चुनाव में शुरूआत से भाजपा जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू और पूर्व मंत्री चौधरी चंद्रभान में दूरियां दिखी।इसका सीधा असर इन चुनाव प्रचार में देखने को मिला।आखिरकार परिणामों में भी गुटबाजी और टिकिट को लेकर उपजे असंतोष की वजह से भाजपा को 18 साल बार करारी हार का सामना करना पड़ा पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार मतदान का 8%कम हुआ।

शुरुआत में मतदान के कम होने की वजह बारिश मानी जा रही थी लेकिन बिछुआ में भारी बारिश के बीच हुए 89% मतदान ने यह मिथक भी तोड़ दिया। निगम शहरी क्षेत्र होने के बाबजूद यहां पिछले साल की अपेक्षा कम मतदान होने की पीछे एक प्रारंभिक वजह भाजपा की जमीनी नेताओ सक्रियता न होना है।भाजपा के कार्यकर्ताओं ने अपने वोटर्स नही निकाल पाए।भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं की कम सक्रियता होने से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की आमसभा और जनदर्शन में उम्मीद से कम भीड़ दिखाई दी थी।

कमलनाथ की घोषणा भारी पड़ी भाजपा पर

नाथ ने वेतन भोगी को नियमित करने का किया था वादा प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने निगम के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी को नियमित करने की घोषणा कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल किया।भाजपा ने निगम के सहायक आयुक्त रहे अनंत धुर्वे को जैसे ही अपना महापौर प्रत्याशी बनाया था।राजनैतिक गलियारों में चर्चा थी कि अनंत के निगम कर्मचारी होने की वजह से उनको निगम कर्मचारियों सहित उनके परिवार के अधिकांश वोट मिलेंगे लेकिन प्रेस कान्फ्रेस में कमलनाथ ने निगम के वेतन भोगी को नियमित करने की घोषणा कर भाजपा के इस दावे की हवा निकाल दी। कमलनाथ के प्रेस कांफ्रेंस में दिए गए इस बयान ने निगम कर्मचारियों को आकर्षित किया।

नाम तय करने में पिछड़ी भाजपा, बढ़ गया असंतोष

देखा जाए तो भाजपा ने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जब जारी की थी तो उसमें किसान मोर्चा से जुड़े जितेंद्र शाह को छिंदवाड़ा में बतौर कैंडिडेट बनाया गया था, लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा के जिला संगठन ने इस पर एतराज जताया और निगम में असिस्टेंट कमिश्नर रहे अनंत धुर्वे को कैंडिडेट बनवा दिया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि टिकट कटने से नाराज जितेंद्र शाह पार्टी के खिलाफ हो गए और उन्होंने बगावत का ऐलान कर दिया हालांकि बाद में उन्हें सरेंडर कर दिया गया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।

एक तरफ कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम आहके ने नाम फाइनल होते ही प्रचार प्रसार शुरू कर दिया था तो वहीं भाजपा प्रत्याशी अनन्त धुर्वे प्रचार प्रसार में पिछड़ गए। यहां तक कि उनके साथ कोई भी भाजपा का बड़ा चेहरा प्रचार में नजर नहीं आया जिसका भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा।

पार्षद टिकट देने में भी उभरा असंतोष

छिंदवाड़ा में भाजपा संगठन ने कई नामी चेहरों की टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव खेला था जो पूरी तरह से फ्लॉप रहा। जिन नामी नेताओ की टिकट काटी गई उन्होंने बगावत का ऐलान करते हुए निर्दलीय नामांकन भर दिया था ऐसे में शुरुआती दिनों में भाजपा का पूरा समय मान मनुव्वल में गुजर गया।

सोशल मीडिया में भी पिछड़ी भाजपा

भाजपा की गुटबाजी का असर सोशल मीडिया में भी देखने को मिला। बीजेपी से बागी हुए महापौर और दो दर्जन से ज्यादा पार्षद प्रत्याशी को मानने में बीजेपी का पूरा सप्ताह खराब हुआ। बागियों की उठापटक में उलझी भाजपा कांग्रेस के मीम्स का ज़बाब देने में भी पीछे रही।एक निजी चैनल के डिबेट में भाजपा के अनंत धुर्वे ने युवाओं के स्विमिंग पुल बनाने कहा था इस बयान के छोटे से हिस्से पर कांग्रेस ने बीजेपी पर व्यंग किया।बारिश के दिनो मे जगह जगह हुए जलभराव और कीचड़ को बीजेपी के स्विमिंग पुल बताते हुए सड़कों के खस्ता हाल पर प्रहार किया।यह मिम्स आम जनता की जुबां पर आ गया और बीजेपी ईसका जबाब नही दे पाई।

भाजपा जिला अध्यक्ष बंटी साहू और बीजेपी नेता एवम पूर्व महापौर के पति योगेश सदारंग को निगम की प्रॉपर्टी के संबंध में हेराफेरी की बात करते हुए मीमस बनाया था। इस पर पर भाजपा कोई जवाब नहीं दे पाई।

लिफाफा बाबू का प्रचार पड़ा भारी

कांग्रेस द्वारा शुरुआती दौर में ही अनंत धुर्वे पर तीखे हमले किए गए। खासकर उन्हें लिफाफा बाबू के नाम से प्रचारित किया जाने लगा जिसको लेकर भाजपा की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दिया जाना नाकाफी साबित रहा। ऐसे में भी भाजपा को अपने प्रत्याशी की बेदाग छवि जनता के सामने प्रस्तुत करने में नही करना महंगा साबित हो गया।

शहर में लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन की लापरवाही ले डूबी भाजपा को

छिंदवाड़ा शहर में सीवरेज पाइप लाइन बिछाने के काम में लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन के द्वारा बरती जा लापरवाही भाजपा को इस चुनाव में भारी पड़ गई। लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन की लापरवाह रैवेये से लोगो को अच्छी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सीवरेज की वजह सड़के खराब हो गई।सड़को में हुई खुदाई में मरम्मत का काम भी ठीक ढंग से नही होने के कारण सड़के धंस गई थी। लेकिन लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन पर निगम मेहरबान रहा है। इसका खामियाजा निगम चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को भोगना पड़ा।

अपनी उपलब्धि नहीं गिना पाई भाजपा

18 साल निगम मे रहने के बाद भी भाजपा की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं थी पिछले 18 सालों से निगम में बीजेपी की सरकार रहने के साथ साथ प्रदेश में भी भाजपा की सरकार रही लेकिन इस दौरान छिंदवाड़ा निगम में भाजपा की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं होने का भी खामियाजा भाजपा प्रत्याशियों को झेलना पड़ा।

राजनीतिक गलियारों से जो बात छनकर आ रही है उनमें तीन प्रमुख वजह को गिना जा रहा है अब चुनाव हारने की असली वजह क्या है यह भाजपा संगठन तय करेगी लेकिन इतना तो साफ हो गया है कि विधानसभा चुनाव से पहले यदि भाजपा संगठन इस मामले में सख्त एक्शन नहीं लेता है तो आने वाले रुझान भी इसी तरह से भाजपा के लिए निराशाजनक हो सकते हैं।

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