ऐसी है उज्जैन के महाकाल के चांदी द्वार की कहानी, पढ़िए यहां..!

भोपाल- भगवान महाकाल के दरबार में एक दरवाजा ऐसा भी है जिस पर दस्तक देना कोई आसान नहीं होता है. भगवान महाकाल से प्रार्थना और अनुमति लेकर इस दरवाजे से प्रवेश होता है. महाकाल के चांदी द्वार की कहानी प्राचीन समय से ही विख्यात है.

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर कई ऐसी प्राचीन परंपरा और रहस्य से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना रहता है जिसके बारे में अधिकांश शिव भक्त जानना चाहते हैं. महाकालेश्वर मंदिर का चांदी द्वार भी ऐसे ही रहस्य से भरा हुआ है जिसे यहां के पंडित, पुरोहित के अलावा अधिकांश शिवभक्त नहीं जानते हैं. महाकालेश्वर मंदिर के पुरोहित देवेंद्र गुरु ने बताया कि अनादिकाल से इसी चांदी द्वार से भगवान महाकाल के दरबार में पंडित और पुरोहित प्रवेश करते हैं. दरवाजे में प्रवेश करना आसान बात नहीं है जब भगवान को शयन आरती के बाद रात्रि विश्राम कराए जाता है तो यह द्वार बंद हो जाता है.

उन्होंने बताया कि जब चांदी के द्वार को खोलना होता है तो भगवान महाकाल की से अनुमति ली जाती है, जिस प्रकार से किसी भी घर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाई जाती है, उसी तरह महाकाल के दरबार में भी प्रवेश करने से पहले चांदी द्वार की घंटी को बजाए जाता है. जब घंटी बजती है, उस समय इस क्षेत्र में पंडित और पुरोहित के अलावा कोई नहीं होता है. घंटी बजाने के बाद भगवान महाकाल से अनुमति लेकर चांदी द्वार खोला जाता है, जिसके बाद मंदिर में प्रवेश कर भगवान की नियमित भस्म आरती होती है. उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी भगवान महाकाल से अनुमति लिए बिना और घंटी बजाए बिना मंदिर के गर्भ गृह प्रवेश नहीं कर सकता है.

ऐसे निभाई जाती है पूरी परंपरा

महाकालेश्वर मंदिर में सुबह भस्म आरती से पूजा-अर्चना का दौर शुरू होता है. इसके बाद प्रातः कालीन आरती होती है और फिर भोग आरती की जाती है. भगवान महाकाल का शाम को श्रृंगार होता है, जिसके बाद पंडित और पुरोहित संध्या कालीन आरती में पूजा करते हैं. रात्रि में भगवान को विश्राम से पहले शयन आरती के माध्यम से पूजा जाता है. रात्रि में शयन आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं. इसके बाद मंदिर में कोई प्रवेश नहीं कर सकता है. जब सुबह भस्म आरती होती है तो इसके पहले चांदी के गेट पर घंटी बजा कर भगवान महाकाल से प्रार्थना कर प्रवेश की अनुमति ली जाती है.

कोटि तीर्थ के जल से कराया जाता है भगवान को स्नान

महाकालेश्वर मंदिर में घंटी बजाने के बाद चांदी का द्वार खुलता है इसके बाद पंडित और पुरोहित मंदिर में प्रवेश करने के बाद भगवान महाकाल का कोटि तीर्थ के जल से स्नान करवाते हैं. यह कोटि तीर्थ महाकाल मंदिर परिसर में ही स्थित है. कोटी तीर्थ में सभी नदियों का जल सम्मिलित है. जलाभिषेक करने के बाद भगवान को दूध , दही , शहद , शक्कर , फलों के रस से स्नान कराया जाता है.