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शिवसेना का पलटवार, कहा- अर्णब का केस फिर से खोलने की वजह से पुलिस अधिकारी, वाझे को निशाना बना रहे हैं

मुंबई। शिवसेना ने मनसुख हिरेन मामले में बीजेपी की तरफ से पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को निशाना बनाने की बीजेपी की कोशिशों पर करारा पलटवार किया है। शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र सामना के संपादकीय के जरिए सवाल उठाया है कि क्या बीजेपी सचिन वाझे को इसलिए निशाना बना रही है, क्योंकि उन्होंने ही रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी के खिलाफ चल रहा केस दोबारा खोला था। सामना में यह भी लिखा है कि वाझे ने बीजेपी के लाडले गोस्वामी महाशय का थोबड़ा बंद कर दिया, इसलिए मनसुख हिरेन मामले में शोर मचाना ठीक नहीं है।
सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है, ‘मनसुख हिरेन की तरह मुंबई में दो लोगों की जान गई है। अर्णब गोस्वामी द्वारा परेशान किए जाने पर अन्वय नाईक ने भी आत्महत्या की, लेकिन इस मामले को तत्कालीन देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने दबा दिया। इस मामले की फाइल पुलिस अधिकारी सचिन वाझे ने ही खोली और गोस्वामी को जेल में डाल दिया। गोस्वामी ने टीआरपी का घोटाला किया। चूंकि सचिन वाझे टीआरपी मामले में भी गोस्वामी की गर्दन पकड़ेंगे, इसलिए बीजेपी उन्हें लेकर इतना शोर मचा रही है।
शिवसेना ने दादरा-नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या के मामले का भी जिक्र किया है और कहा है कि विपक्ष इसपर चुप क्यों है। सामना में लिखा है कि, ‘दादरा-नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या की घटना हुई। डेलकर ने सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसे सबूत माना जा सकता है। डेलकर की पत्नी और उनके बच्चे ने मामले की जांच कराने की मांग करते हुए सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात भी की। विरोधी दल जिस तेजी से मनसुख हिरेन की मृत्यु की जांच करने को कह रहा है, उसी तेजी से डेलकर और अन्वय नाईक की संदिग्ध मौत के बारे में जांच करने को क्यों नहीं कह रहा?’
बीजेपी द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के बीच सचिन वाझे को ट्रांसफर भी किया जा चुका है। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने खुद इस बात की पुष्टि की है। हालांकि, बीजेपी नेता इस बात पर अड़े हुए हैं कि वाझे को सस्पेंड किया जाए। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस तो वाझे की गिरफ्तारी की मांग भी कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि वाझे ने मनसुख हीरेन की मौत से जुड़े सुबूतों को मिटाया है।
कौन हैं सचिन वाझे
सचिन वाझे 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर मशहूर हैं। ऐसा बताया जाता है कि वे जब एक एनकाउंटर स्क्वॉड को लीड करते थे तब उन्होंने अकेले 63 क्रिमिनल्स का एनकाउंटर किया था। दाऊद इब्राहिम से लेकर छोटा राजन तक के गुर्गों में वाझे के नाम का खौफ था।
साल 2002 के घाटकोपर बम विस्फोट मामले में जब ख्वाजा यूनुस को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो पुलिस की गिरफ्त से उसके फरार होने की खबर आई। लेकिन जब इस मामले की सीआईडी जांच हुई तो पता चला कि यूनुस की मौत पुलिस हिरासत में हो गई थी। तब वाझे को सस्पेंड कर दिया गया था। इस घटना के करीब 16 साल बाद 6 जून 2020 को उन्हें सर्विस में दोबारा से ले लिया गया और क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का इंचार्ज बनाया गया।
वाझे ने 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमले, मुम्बई के चर्चित शीना बोरा हत्याकांड और डेविड हेडली पर पुस्तकें भी लिखी हैं। बीते साल जॉइनिंग के बाद से वह अर्णब मामले को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। बीजेपी ने मनसुख हिरेन की संदिग्ध हालात में हुई मौत के बाद से वाझे को निशाने पर ले रखा है। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास जो विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो गाड़ी मिली थी, उसके मालिक मनसुख हिरेन ही थे।