कारम डैम से तबाह हुई है गांव के लोगों की ज़िंदगी, किया DM ऑफिस का घेराव

धार- मध्य प्रदेश के धार जिले में भ्रष्टाचार की नींव पर तैयार किया जा रहा कारम डैम (Karam Dam) का पानी अपने साथ ग्रामीणों का सब कुछ बाह कर ले गया था जिसके बाद अब ग्रामीणों के सिर पर न छत है और ना ही रोजी-रोटी कमाने के लिए कोई संसाधन. वहीं सरकार ने भी इन प्रभावित ग्रामीणों को दर-बदर की ठोकर खाने के लिए छोड़ दिया है. यही वजह रही की सोमवार को डैम के कारण प्राभावित हुए नौ गावों के ग्रामीण जिला कलेक्टर (Dhar collector)से मिलने पहुंचे और उन्हें अपनी पीड़ा सुनाई.

क्या बताया बाढ़ पीड़िता ने
दरअसल सोमवार शाम अपनी पीड़ा लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंची करीम बाई ने बताया कि, डैम का पानी अपने साथ उनका सब कुछ बहाकर ले गया जिसके बाद अब ना तो उनके परिवार के पास रहने के लिए छत है और ना ही काम करके अपना पेट भरने के लिए जमीन. सरकार ने 1 लाख रुपए की सहायता दी है, अब आप ही बताएं कि 1 लाख रुपये में घर बनाएं या फिर जमीन खरीदें. हमारी सरकार से मांग है कि हमें घर के बदले घर दे और जमीन के बदले जमीन.

क्षेत्र के विधायक ने क्या कहा
वहीं ग्रामीणों के साथ जिला कलेक्टर से मिलने पहुंचे क्षेत्र के विधायक पांचीलाल मेडा ने बताया कि, सरकार ने ग्रामीणों के साथ पक्षपात किया है और उन्हें दर बदर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया है. इसी को लेकर हम आज कलेक्टर कार्यालय कलेक्टर से मिलने के लिए ग्रामीणों के साथ पहुंचे हैं. सरकार की तरफ से ग्रामीणों को जमीन के बदले जमीन दी जाए और घर के बदले घर साथ ही ₹5,00,000 का जो पैकेज सरकार ने हर एक परिवार को देने के लिए तय किया है वह उन्हें दिया जाए.

जिला कलेक्टर ने क्या कहा
वहीं जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों से कलेक्टर ने 2 घंटे तक उनकी पीड़ा जानी और 7 दिन के भीतर उनकी समस्या का निराकरण करने का आश्वासन दिया. इस दौरान जिला कलेक्टर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, प्रभावित गांवों का सर्वे करवाया जा चुका है लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सर्वे के दौरान कई विसंगतियां हुईं हैं. उनकी इस बात को मानते हुए यदि सर्वे में कोई विसंगतियां हुई हैं तो सर्वे को दोबारा से करवाया जाएगा और ग्रामीणों को जल्द से जल्द उचित सहायता मुहैया कराई जाएगी.

गौरतलब है कि धार जिले में 304 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे कारम डैम से पिछले दिनों पानी का रिसाव होने के बाद पानी के निकासी के लिए वैकल्पिक रास्ता तैयार कर डैम से पानी को बाहर निकाला गया था. डैम से निकाले गए पानी से लगभग नौ गांव के ग्रामीण प्रभावित हुए हैं.