दिग्विजय ने चुनावी जंग को ‘कांग्रेस बनाम सिंधिया’ का रूप देते हुए अपने दांव में सिंधिया कैंप को उलझा लिया

दिग्विजय यह संदेश देना चाहते हैं कि सिंधिया के ही कारण कमलनाथ सरकार गिरी और उनके धोखे का बदला लेने का समय आ गया है

भोपाल।  पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा के महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया को किस तरह अपने गांव में उलझा लिया है बता रहे हैं नई दुनिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के माध्यम से धनंजय प्रताप सिंह। रिपोर्ट के प्रमुख अंश प्रस्तुत हैं –

मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर दिए बयान कि ‘हे महाकाल, दूसरा ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में पैदा न हो’ से पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस की चुनावी रणनीति के संकेत दे दिए हैं। उन्होंने चुनावी जंग को ‘कांग्रेस बनाम सिंधिया’ का रूप देते हुए अपने दांव में सिंधिया कैंप को उलझा लिया है। शुक्रवार को दिए बयान को लेकर कांग्रेस और सिंधिया कैंप के बीच चले बयानों के बाण स्पष्ट करते हैं कि दिग्विजय सिंह 2023 का विधानसभा चुनाव 2020 की 28 सीटों के उपचुनाव की परछाई में लड़ने को आतुर हैं।

यानी, ग्वालियर-चंबल संभाग के साथ पूरे प्रदेश में यह संदेश देना चाहते हैं कि सिंधिया के ही कारण कमल नाथ सरकार गिरी और उनके इस धोखे का बदला लेने का समय आ गया है। दरअसल, कांग्रेस को निशाने पर लेने के लिए भाजपा ने कई चेहरे तय कर रखे हैं, जबकि कांग्रेस के पास जवाबी हमले के लिए शिवराज सिंह चौहान ही अकेला चेहरा रहे हैं।

दिग्विजय सिंह ने सिंधिया पर हमला बोलते हुए एक और चेहरे का विकल्प दे दिया है। दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी का दावा मजबूत करने के लिए सिंधिया पर निशाना लगाते हुए कहा है कि अब कोई धोखेबाज कांग्रेस में नहीं है। उधर, सिंधिया के अपमान पर उबल पड़े उनके समर्थक मंत्रियों और विधायकों ने मोर्चा खोल दिया और सिंधिया का बचाव करते हुए दिग्विजय पर जमकर हमले किए।
राजनीतिक तकाजा कहता है कि यदि सिंधिया कैंप प्रतिक्रिया न करता तो दिग्विजय के बयान को मजबूत जमीन न मिलती, लेकिन वे अपनी रणनीति में सफल होते दिख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राजा और महाराजा की सियासत से भी पहले रियासतों में अदावत रही है। एक दूसरे को निपटाने का लंबा इतिहास रहा है।

अब चूंकि दोनों परस्पर विरोधी दल में हैं, तो यह अदावत रोज खुलकर नया रंग लेगी। दूसरी वजह यह है कि भाजपा हर चुनाव में दिग्विजय सरकार के कार्यकाल की याद दिलाकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करती है, लेकिन विस चुनाव से पहले दिग्विजय ने रणनीतिक तौर पर भाजपा से यह अवसर छीन लिया। अब कांग्रेस की रणनीति यह है कि चुनाव को पूरी तरह कांग्रेस बनाम सिंधिया का रंग दे दिया जाए।