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जेपी अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजो के बीच महज पर्दे का पार्टीशन
राजधानी के जेपी अस्पताल में कोरोना के मरीजों और संदिग्धों को एक ही वार्ड में भर्ती किया जा रहा है। संक्रमित और संदिग्ध के बिस्तरों को अलग करने के लिए महज पर्दे का पार्टीशन किया गया है। इस वजह से संदिग्ध मरीजों के लिए भी कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है। आने-जाने का दरवाजा और शौचालय भी एक ही है। ऐसे में यहां भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों की रिपोर्ट भले ही नेगेटिव आए, लेकिन चार-पांच दिन बाद में इनके संक्रमित होने की पूरी आशंका है।
कोरोना संदिग्ध वार्ड में रविवार को भर्ती किए गए होमगार्ड के एक जवान के लापता हो जाने के 32 घंटे बाद उसका शव वार्ड के शौचालय में मिला है। मृतक के स्वजन ने भी अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि मरीज को कोरोना के लक्षण नहीं थे। इसके बाद भी कोरोना मरीजों के बीच में भर्ती कर दिया गया।
होमगार्ड जवान की पहले रैपिड एंटीजन किट से जांच की गई। यह रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी उसे सांस लेने में तकलीफ थी, इसलिए आरटी-पीसीआर से जांच कराई गई। यह रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है। अन्य संदिग्धों को भी इसी तरह से संक्रमित होने का खतरा है। बता दें कि आइसोलेशन वार्ड में 22 बेड का आइसीयू बनाया गया है, जबकि इसी वार्ड में पांच बिस्तर अलग करके संदिग्ध मरीजों के लिए वार्ड बनाया गया है। इसे सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री इलनेस (सारी) वार्ड बनाया गया है। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि सारी वार्ड अलग है। हां, वार्ड में जाने का रास्ता एक ही है, लेकिन दरवाजा चौड़ा होने की वजह से कोई दिक्कत नहीं होती है।