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पटवारी बोले- डर या लालच में कांग्रेस छोड़ रहे नेता
भास्कर से इंटरव्यू में बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने पर कहा-पार्टी का आदेश सब मानेंगे
भोपाल – लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी है। 9 मार्च को वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं धार के पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, इंदौर के पूर्व विधायक संजय शुक्ला, पूर्व विधायक विशाल पटेल सहित अन्य नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया। इससे पहले भी कई कांग्रेस नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।
चुनाव से पहले कांग्रेस में मची इस भगदड़ पर दैनिक भास्कर ने पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी से बात की। उनसे समझने की कोशिश की कि आखिर नेता पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं? कांग्रेस अपने नेताओं को क्यों रोक नहीं पा रही है? पढ़िए, पटवारी का पूरा इंटरव्यू…
सवाल: सामने लोकसभा चुनाव है और कांग्रेस के कद्दावर नेताओं का पार्टी छोड़ने का क्रम जारी है। क्या कारण है?
मैं पहले भी और खास तौर पर भास्कर को बता चुका हूं कि जिन लोगों के कोई न कोई ऐसे धंधे या व्यवसाय हैं, जिन्हें सरकार का संरक्षण चाहिए, वे ही पार्टी छोड़ रहे हैं। किसी का बस चलाने का कारोबार है, तो कोई क्रशर या रेत का काम करता है। ऐसे लोग पुलिस-प्रशासन के डर की वजह से पार्टी छोड़ रहे हैं। दूसरी बात ये है कि वो नेता, जिन्हें कांग्रेस ने सब कुछ दिया, वो इस समय पार्टी छोड़ रहे हैं। इसकी दो ही वजह लालच या भय हो सकते हैं।
सवाल: आप कहते हैं कि भाजपा में पहले जो कांग्रेस नेता शामिल हुए, वो हाशिए पर चले गए लेकिन ये जानते हुए भी वे कांग्रेस क्यों छोड़ रहे हैं?
मेरी लगातार कोशिश होती है कि मैं समन्वय के साथ काम करूं। पार्टी में सामूहिक नेतृत्व के साथ काम हो भी रहे हैं। ऐसा कार्यकर्ता, जिसने पार्टी को पूरा जीवन दिया हो, वो पार्टी से जाता है तो दुख होता है। यदि कोई नेता जाता है तो वोट नहीं बदलता, वोट अपनी जगह खड़ा रहता है। मैंने पिछली बार 66 लाेगाें की लिस्ट जारी की थी। इसमें पूर्व एमएलए सहित दूसरे लोग थे। अभी पांच-छह लोग ही किसी पद पर हैं। बाकी सब राजनीतिक वनवास में चले गए। चुनाव के पहले इस तरह की आवक-जावक चलती है। इसका मुझे आभास भी था। ऐसे लोग बीजेपी में गए, धन्यवाद।
सवाल : आपको अध्यक्ष बने दो महीने से अधिक हो गए, लेकिन अभी तक कार्यकारिणी नहीं बना पाए?
मेरी कार्यकारिणी तैयार हो चुकी है। सूची दिल्ली पहुंचा दी है। अप्रूवल भी मिल गया है। दो-चार दिन में इसे जारी कर देंगे।
सवाल : भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए 24 सीटों की सूची जारी कर दी है। कई सीटों पर दिग्गज नेताओं को उतारा है। कांग्रेस की सूची कब तक आएगी?
पार्टी ने हर तरीके से मंथन कर 25 लोकसभा प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर सीईसी को भेज दिए हैं। जल्द ही हमारे प्रत्याशी घोषित हो जाएंगे। चार-पांच सीटों पर मंथन चल रहा है। जल्द ही उस पर भी निर्णय हो जाएगा।
सवाल : भाजपा ने लोकसभा चुनाव में शिवराज सिंह, वीडी सहित अपने बड़े नेताओं को उतार दिया है। क्या जीतू पटवारी, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और दूसरे सीनियर नेता चुनाव लड़ेंगे?
पार्टी जो आदेश करेगी, वही सब करेंगे। पार्टी जिसे और जैसा निर्देश देगी, वो सब मानेंगे।
सवाल : आप साफ जवाब नहीं दे रहे हैं?
मेरा जवाब साफ है। जिसे भी पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ने के लिए कहा जाएगा, उसे लड़ना होगा। पार्टी जो उचित समझेगी, आदेश करेगी, उसे हर हाल में सभी को मानना ही पड़ेगा।
सवाल : कमलनाथ और नकुलनाथ को लेकर बार-बार कयास लगते रहे हैं। कभी इस मसले पर खुलकर बात हुई?
मैं समझता हूं कि ये ऐपिसोड समाप्त हो चुका है। कमलनाथ और नकुलनाथ खुद इसका खंडन कर चुके हैं। वे पार्टी में हैं और रहेंगे। इस बारे में बार-बार सवाल करना उचित नहीं समझता। हमारी पार्टी एकजुट है। ऐसी छोटी-छोटी आवाजाही अक्सर सत्ता पाने का एक प्रचलन सा है। इसमें ज्यादा घबराने की बात नहीं है। जहां तक सवाल कमलनाथ से बात करने का है, तो हमारी खुलकर बात होती है। रोज बात होती है। बात तो बीजेपी वालों से भी होती है, वो कोई मेरे दुश्मन थोड़े ही हैं। हमारा विचारधारा के स्तर पर विरोध है। हमारी भूमिका विपक्ष की है। जो पार्टी में थे और चले गए, उनसे भी कोई नाराजगी नहीं है। लोगों के पार्टी छोड़ने से दुख जरूर हुआ। परेशानी भी आती है, लेकिन वे अपने लालच से गए हैं। इसमें हमारी चूक नहीं है। मैंने या मेरी पार्टी की ओर से किसी ने उनका अपमान किया या चूक हुई, ऐसा नहीं है। वो अपने लालच, भय और अलग-अलग कारणों से गए हैं।
सवाल : बदनावर की बैठक में सभी विधायकों को बुलाया गया था। छिंदवाड़ा के कई विधायक नहीं पहुंचे, क्या वजह थी?
छिंदवाड़ा के विधायक उस बैठक में पहुंच भी जाते तो वल्लभ भवन की आग तो बुझ नहीं जाती। वे पहुंच भी जाते तो गेहूं के दाम 2700 तो मिलने नहीं लगते। सवाल ये है कि मीडिया व विपक्ष की भूमिका एक है, सरकार से सवाल पूछने की।
मीडिया यदि विपक्ष से ही सारे सवाल करेगी, तो सरकार से सवाल कौन पूछेगा। लोकतंत्र में मीडिया चौथा स्तम्भ है। कांग्रेस पार्टी अभी विपक्ष की भूमिका में है, हमारी ताकत तब आएगी, जब मीडिया साथ दे। विपक्ष जिंदा रहे, इसके लिए मीडिया को साथ देना होगा।