घर बैठे हैं कई दिग्गज, भाजपा में नहीं हो रही है अच्छी पकड़ रखने वाले नेताओं की पूछ-परख

भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी इन नेताओं में से ज्यादातर के मामले में गंभीर नहीं है।

इंदौर – लोकसभा चुनाव के लिए मतदान में आठ दिन शेष हैं और इंदौर की राजनीति में अलग पहचान रखने वाले एवं चुनाव रणनीति में माहिर माने जाने वाले भाजपा के कई दिग्गज अभी भी घर बैठे हुए हैं। इन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। न तो उम्मीदवार, न ही संगठन स्तर से इनके साथ किसी तरह का संवाद हो रहा है। कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बम द्वारा नामांकन वापस लेने के बाद जो परिदृश्य इंदौर में बन रहा है, उसके बाद तो इस चुनाव में इन नेताओं की भूमिका नगण्य ही नजर आ रही है।
लोकसभा में आठ बार इंदौर का प्रतिनिधित्व कर चुकी सुमित्रा महाजन जैसी वरिष्ठ नेता भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी द्वारा नामांकन दाखिल करने के पहले सभा में ही नजर आईं। महाजन का हर विधानसभा क्षेत्र में अपना नेटवर्क है, कार्यकर्ताओं में इनका बहुत सम्मान है। शहर के लोग भी इन्हें बहुत पसंद करते हैं। वे तमाम लोग जो शहर में असरकारक भूमिका में हैं, इन्हें बहुत तवज्जो देते हैं। समाज के कुछ वर्गों में इन्हें बहुत पसंद किया जाता है। महिलाओं में बहुत लोकप्रिय हैं और इनके द्वारा कही गई बात को हमेशा गंभीरता से लिया जाता है। नई पीढ़ी के लोग भी इनकी साफ-सुथरी राजनीति के कायल हैं।

जिन नेताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, इनमें से कई नेता ऐसे भी हैं जिन्हें चुनावी रणनीति का 30 साल का अनुभव है, लेकिन पार्टी उनके अनुभव का लाभ ही नहीं लेना चाहती है। चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी इन नेताओं में से ज्यादातर के मामले में गंभीर नहीं है।

इनकी कोई पूछ परख नहीं
बाबूसिंह रघुवंशी – कई चुनाव के संचालन का अनुभव, चुनावी रणनीति के जानकार और चुनाव कार्यालय को बहुत व्यवस्थित तरीके से चलाने में माहिर। कौन व्यक्ति किस काम को बखूबी कर सकता है इसके पारखी। नेताओं और कार्यकर्ताओं से काम लेना भी आता है। चुनाव कार्यालय को जीवंत रखने में एक्सपर्ट। स्थानीय और प्रदेश नेतृत्व के बीच तालमेल भी जमा लेते हैं। पार्टी के बड़े नेता भी इन्हें पूरा सम्मान देते हैं।
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कृष्णमुरारी मोघे – एक समय अविभाजित मध्य प्रदेश की 320 सीट के भाजपा टिकट तय करने में उनकी आम भूमिका रहती थी। संगठन में काम का गहरा अनुभव, नेताओं और कार्यकर्ताओं से उनकी क्षमता के मुताबिक काम लेने में माहिर, स्थानीय और प्रदेश संगठन के बीच तालमेल में सिद्धहस्त। संगठन में लंबे समय तक काम करने के कारण इनके पास हर स्तर पर अच्छा फीडबैक रहता है। परेशान कार्यकर्ता भी भरोसे के साथ इसे अपनी बात शेयर करते हैं।

गोपीकृष्ण नेमा – अच्छे वक्ता, चुनावी रणनीति में माहिर, अच्छे समन्वयक और सबको साध भी लेते हैं। व्यापारिक वर्ग में अपनी पकड़ का फायदा पार्टी को दिलवाते हैं। अल्पसंख्यकों में भी पेठ, इंदौर 3 और इंदौर 4 विधानसभा क्षेत्र के सारे समीकरणों से अच्छे से वाकिफ हैं। पुरानी और नई पीढ़ी के बीच तालमेल भी जमा लेते हैं।

सत्यनारायण सत्तन – अच्छे वक्ता और लोगों तक दमदारी से संगठन की बात पहुंचाने में माहिर। बात को व्यवस्थित तरीके से रखने की क्षमता होने से लोगों को अपने से जोड़ लेते हैं। खरी-खरी कह देते हैं और मौका आने पर बड़े नेताओं को नसीहत देने से भी नहीं चूकते।

डॉ. उमाशशि शर्मा – साफ-सुथरी छवि वाली नेता, हर विधानसभा क्षेत्र में नेटवर्क। प्रबुद्धवर्ग, वरिष्ठ नागरिक और महिलाओं में सक्रिय। शांत और सौम्य नेता होने के कारण कार्यकर्ता भी सम्मान करते हैं। संगठन ने कोई विशेष जिम्मेदारी नहीं सौंपी। कैलाश विजयवर्गीय के कारण इंदौर 1 में जरूर थोड़ी सक्रियता दिखाई देती है।

जीतू जिराती – संगठन के काम पर अच्छी पकड़। राऊ विधानसभा क्षेत्र में मजबूत नेटवर्क, अच्छे वक्ता, युवाओं में लोकप्रिय। संगठन के बड़े नेताओं के भी पसंदीदा। स्थानीय समीकरण के चलते कोई पूछ परख नहीं इसलिए इन दिनों इंदौर के बजाय उज्जैन संभाग में ज्यादा सक्रिय।

जयपाल सिंह चावड़ा – सालों तक संगठन मंत्री रहे, बाद में इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष रहते हुए सक्रिय राजनीति में आ गए। चुनावी रणनीति के अच्छे जानकार, सबको साधने में माहिर और काम लेना भी आता है। बूथ स्तर की रणनीति में सिद्धहस्त। जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है, उसे बखूबी निभाते हैं।

सुदर्शन गुप्ता – पार्टी का नगर अध्यक्ष रहने के साथ ही दो बार विधायक भी रहे। संगठन और उम्मीदवार की ओर से कोई पहल न होने के कारण यह अभी केवल इंदौर एक विधानसभा क्षेत्र में सीमित है जबकि इनका लाभ इंदौर तीन और इंदौर चार विधानसभा क्षेत्र में भी पार्टी को मिल सकता है।

गोविंद मालू – सुमित्रा महाजन के कई लोकसभा चुनाव में कोर ग्रुप के सदस्य रहे। चर्चा में रहने वाले मुद्दे सामने लाने और उसके आधार पर विरोधी उम्मीदवार की घेराबंदी करने में माहिर है। स्थानीय स्तर पर तो तवज्जो नहीं दी गई लेकिन प्रदेश भाजपा ने चुनाव प्रबंधन से संबंधित महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप कर भोपाल में तैनात कर दिया।

संतोष मेहता – लक्ष्मण सिंह गौड़ के अन्नय सहयोगी रहे, अच्छे वक्ता और कुशल रणनीतिकार, कार्यालय संचालन में माहिर, मुद्दों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। जिसका फायदा पार्टी और उम्मीदवार दोनों को मिलता है। पार्टी में कोई पुछ परख नहीं होने से इन दोनों अपने व्यापार व्यवसाय में लगे हुए।