सभी निर्दोष हैं!:जिस विभाग का घोटाला उसके सारे अफसर बरी, लेखा वाले भी मासूम

इंदौर नगर निगम में हुए 107 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले की जांच में भी फर्जीवाड़ा

इंदौर – इंदौर नगर निगम में हुए 107 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले में ड्रेनेज और लेखा शाखा के अफसरों को निगम की विभागीय जांच में निर्दोष पाया गया है। कमेटी ने सिर्फ बयानों के आधार पर ही अफसरों को बेकसूर मान लिया है। जिन ठेकेदारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गय है, वे पुलिस के समक्ष बयान दे रहे हैं कि आधे से ज्यादा रुपए अफसरों में ही बंटे हैं।
भास्कर के पास उपलब्ध जांच रिपोर्ट के अनुसार अॉडिट शाखा के कुछ कर्मचारियों को छोड़ बाकी सभी के लिए लिखा गया है कि इनकी संलिप्तता साबित नहीं होती है। जिन तीन कर्मचारियों उपयंत्री उजमा खान, प्रदीप दुबे और पूर्व जोनल अधिकारी परागी गोयल के आईडी-पासवर्ड का इस्तेमाल हुआ, उन्हें भी क्लीनचिट दे दी गई। सिर्फ ऑडिटरों की गलती को गंभीर माना है।
अपर आयुक्त की अध्यक्षता में गठित जांच समिति ने जल यंत्रालय, ड्रेनेज, ऑडिट और आईटी विभाग के 30 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारियों के बयान लिए। ऑडिटरों को छोड़ सभी को क्लीनचिट दे दी है। ज्यादातर के कथन के बाद समिति ने विशेषज्ञ से हस्ताक्षर मिलान की अनुशंसा जरूर की है।

आठ संदेही: ऑडिट के पांच और लेखा के तीन कर्मियों पर शक, दो पहले से निलंबित

रिपोर्ट में इतने बड़े घोटाले के लिए सिर्फ आठ विनियमित कर्मचारियों पर संदेह जताया गया है। इनमें ऑडिट के पांच व लेखा के तीन कर्मचारी हैं। दो पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं। इनमें भूपेंद्र पुरोहित वर्ष 1999 से और सुनील भंवर 1998 से लेखा शाखा में है। भंवर ने बयान में कहा है कि राहुल वडेरा को जानता हूं। वे राजकुमार साल्वी, रमेश शर्मा और हरीश श्रीवास्तव से मिलने आते थे। पुरोहित ने भी माना कि वडेरा को जानता है। 25 अगस्त 2022 को 45 बिलों की एंट्री थी। 12 बिल आरोपी फर्मों के थे, जिनकी इनकी एंट्री रात 9.39 से 10 बजे के बीच की गई।

दावा: मैंने कभी आईडी-पासवर्ड उपयोग में नहीं लिए, कहीं से लीक हुए होंगे

उजमा खान ने कहा कि पांचों फर्मों की फाइलों पर मेरे हस्ताक्षर नहीं है। ई-नगर पालिका पोर्टल पर निर्माण कार्यों के देयकों की प्रविष्टि के लिए मेरे आईडी-पासवर्ड का मिसयूज किया गया। पोर्टल पर लॉग-इन करते समय ओटीपी या मोबाइल पर सूचना ही नहीं मिलती है। दुरुपयोग पकड़ना मुश्किल। पोर्टल पर एंट्री के माध्यम से भुगतान नहीं होता है।उपयंत्री प्रदीप दुबे ने भी कहा कि मैं इन फर्मों को नहीं जानता। विभाग ने आईडी-पासवर्ड दिया है, लेकिन मैंने कभी किसी को यह नहीं बताया। परागी गाेयल इन्होंने भी इसी तरह का बयान दिया है।