22 साल बाद कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए हो रहा चुनाव, आज से नामांकन शुरू

नई दिल्ली- कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए आज से नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी। यह प्रोसेस 30 सितंबर तक चलेगी। 1 अक्टूबर को नॉमिनेशन की जांच की जाएगी और उसी दिन वैलिड कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी की जाएगी। उम्मीदवारी वापस लेने के लिए आखिरी तारीख 8 अक्टूबर है। अगर एक से अधिक कांग्रेस नेता ने नामांकन दाखिल किया तो 17 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 19 अक्टूबर को नतीजे आएंगे।

कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार साल 2000 में चुनाव हुआ था। तब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे। सोनिया गांधी को करीब 7,448 वोट मिले, लेकिन जितेंद्र प्रसाद 94 वोटों पर ही सिमट गए। 2000 में सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने पर गांधी परिवार को कभी कोई चुनौती नहीं मिली।

अध्यक्ष पद की रेस में 4 राज्य से 4 नाम आगे
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए अब दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। पहले शशि थरूर और अशोक गहलोत का नाम सामने आ रहा था, लेकिन अब मध्य प्रदेश के पूर्व CM दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी भी शामिल हो गए हैं।

कमलनाथ का नाम भी चर्चा में था
CM दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में खुद को भी दावेदार बताया था। मध्य प्रदेश के पूर्व CM कमलनाथ का नाम भी चर्चा में था, लेकिन सूत्रों ने भास्कर को बताया कि 30 सितंबर तक उनका दिल्ली जाने का कोई कार्यक्रम नहीं हैं।

मनीष तिवारी कांग्रेस के उस G-23 ग्रुप का हिस्सा हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में सुधार की मांग की थी। इस साल 26 अगस्त को G-23 समूह के सदस्य गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया को तमाशा और दिखावा करार देते हुए इस्तीफा दे दिया था।

तिवारी पंजाब के श्री आनंदपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं। सूत्रों के मुताबिक, त‍िवारी 24 स‍ितंबर को द‍िल्‍ली पहुंच रहे हैं। दिल्ली में ही वे अपने समर्थकों से चर्चा करेंगे। इसके बाद चुनाव लड़ने से जुड़ा फैसला लेंगे। त‍िवारी 5 साल तक NSUI और 2 साल तक यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश के पूर्व CM दिग्विजय सिंह ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव रह चुके हैं। साथ ही मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। बुधवार को NDTV को दिए एक इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी से अध्यक्ष पद संभालने की अपील की थी।

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह राहुल के अलावा अशोक गहलोत या शशि थरूर को नेतृत्व की भूमिका में पसंद करेंगे, तो दिग्विजय सिंह ने कहा- चलो देखते हैं। मैं खुद को भी खारिज नहीं कर रहा हूं, आप मुझे बाहर क्यों रखना चाहते हैं? दिग्विजय ने कहा कि हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। आपको 30 तारीख की शाम को जवाब पता चल जाएगा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर केरल के तिरुअनंतपुरम से लोकसभा सांसद हैं। वे ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। वे कांग्रेस के G-23 नेताओं में से एक हैं। 19 सितंबर को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सोनिया से चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी।

हालांकि, सोनिया ने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि चुनाव लड़ने का फैसला आपका है। यानी ये आपका कॉल है, पार्टी की चुनावी प्रक्रिया तय नियमों के हिसाब से ही होंगी। इसमें सभी को बराबर का अधिकार है। थरूर सुबह कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे और सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी से मुलाकात की।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे हैं। इस सिलसिले में उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से बुधवार शाम दो घंटे बातचीत की। दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई, यह पता नहीं चल पाया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोनिया ने इतना ही कहा कि पार्टी अध्यक्ष पद के लिए इस चुनाव में वे किसी का फेवर नहीं करेंगींं। उधर, गहलोत गुरुवार को राहुल गांधी से मिलने कोच्चि भी गए। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मैं एक बार और प्रयास कर रहा हूं राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के लिए मनाने का। राहुल गांधी के हां या ना कहने पर ही मैं वापस आऊंगा। इसके बाद आगे का मूवमेंट तय होगा।’

CM और अध्यक्ष दोनों पदों पर रहने के सवाल पर गहलोत ने कहा, ‘समय बताएगा कि मैं कहा रहूंगा, कहां नहीं रहूंगा।’ एक पद, एक व्यक्ति फॉर्मूले पर उन्होंने कहा, ‘मेरी इच्छा तो ये है कि मैं किसी पद पर न रहूं, क्योंकि मैं बहुत पद पर रह चुका हूं। मेरे उपस्थिति से पार्टी को फायदा होना चाहिए, कांग्रेस मजबूत होनी चाहिए, मैं यह चाहता हूं। गहलोत ने कहा कि इतने सालों में पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है।’

राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने पर भी कोई चुनौती नहीं दे पाया। राहुल गांधी 2017 से 2019 तक अध्यक्ष बने। सोनिया गांधी का कार्यकाल 1998 से 2017 तक रहा। साल 2019 में राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद एक बार फिर सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनीं, जो अब तक इस पद पर कायम हैं।