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UP में अवैध बांग्लादेशियों की पहचान कर रही है पुलिस, लेकिन ये NRC से नहीं जुड़ा है

उत्तर प्रदेश के DGP ओपी सिंह ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों को अवैध बंग्लादेशियों की पहचान करने के लिए कहा है. इसके पीछे राज्य की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने का तर्क दिया गया है. पुलिस प्रमुखों को भेजे गए एक पत्र में पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पता चला है कि बांग्लादेशी अवैध रूप से राज्य में रह रहे हैं. और उनमें से कई लोग मिसिंग हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए, राज्य में रहने वाले बांग्लादेशियों और अन्य विदेशियों की पहचान करना और उन्हें सत्यापित करना जरूरी है. 1 अक्टूबर को DGP ऑफिस की ओर से लेटर जारी किया गया था. डीजीपी ने लिखा कि रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, नई कॉलोनियों और सड़क के किनारे जैसी जगहों, जहां बांग्लादेशी और अन्य विदेशी नागरिक शरण लेते हैं, उनकी पहचान की जाए. वहां रहने वालों को सत्यापित किया जाए और इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए.
लेटर में कहा गया है कि अगर जांच के दौरान लोग दावा करते हैं कि वे दूसरे जिले या राज्य के हैं इसका डाटा तैयार किया जाए. इसके साथ ही उस जिले और राज्य से उस व्यक्ति का सत्यापन कराया जाए. इसके साथ ही ऐसे विदेशियों के फिंगर प्रिंट लेकर ब्यूरो को भेजे जाएं और इसका अलग से जिलावार डेटाबेस तैयार किया जाए.
यह भी निर्देश दिए गए हैं कि कंपनियों में काम कर रहे विदेशी नागरिकों के सभी दस्तावेज का सत्यापन कराया जाए. कंपनियां या व्यापारिक प्रतिष्ठान ऐसे लोगों के पहचान पत्र अपने पास रखें. या फिर पुलिस से सत्यापन करा लें.
हालांकि इसे पूरे कवायद को एनआरसी से जोड़ने को लेकर यूपी पुलिस ने सफाई पेश की. पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल एक लेटर जारी किया. इसमें लिखा है,
इस पूरी कवायद को एनआरसी से जोड़ना गलत है. 30 सितंबर, 2019 को प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और विदेशी नागरिकों की पहचान करने को लेकर जो निर्देश जारी किए गए हैं, उसमें एनआरसी का जिक्र नहीं है. यूपी पुलिस की इस कवायद का मकसद अवैध बांग्लादेशी और अन्य विदेशी नागरिकों की पहचान करना है. जिससे आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया जा सके. साथ ही इसका मकसद त्योहारों को शांतिपूर्वक संपन्न कराना है. इसका एक मकसद ये भी है कि फरार अपराधियों की गिरफ्तारी हो सके. पहले भी समय-समय पर इस तरह के आदेश जारी होते रहे हैं. आने वाले समय में भी ये प्रक्रिया चलती रहेगी. विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत जो दायित्व सौंपे गए हैं, उसे निभाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
सोशल मीडिया पर अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के उदवासन के निर्देश को NRC से जोड़ने के सम्बंध में महत्वपूर्ण सूचना।#UPPolice pic.twitter.com/gDD9GEK2aw
— UP POLICE (@Uppolice) October 1, 2019
इस मामले में उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह की ओर से भी बयान आया. उन्होंने कहा,
यूपी पुलिस को विदेशियों की पहचान करने के लिए कहा गया है. इसका एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है. बांग्लादेशी और विदेशी जो अवैध रूप से यहां रह रहे हैं उनकी पहचान की जाएगी. उनके दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा. यदि उनके दस्तावेज गलत पाए जाते हैं तो उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा.
दरअसल पिछले महीने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर राज्य में NRC को लागू किया जाएगा. उन्होंने असम की तरह उत्तर प्रदेश में भी एनआरसी लागू करने की बात कही थी. योगी आदित्यनाथ ने कहा था,
NRC को चरणबद्ध तरीक़े से लागू किया जा रहा है. मुझे लगता है कि जब उत्तर प्रदेश को NRC की ज़रूरत पड़ेगी तो हम यहां भी इसे लागू करेंगे. जिस तरह से इसे पहले चरण में असम में लागू किया गया, ये हमारे लिए एक उदाहरण है. इससे सीखकर हम NRC यहां भी चरणबद्ध तरीक़े से लागू कर सकते हैं. ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है और इससे गरीबों के अधिकारों को छीन रहे घुसपैठियों को रोकने में मदद मिलेगी.