- Cupido filippino Evaluation nel 2020: Functions , Professionals , Drawbacks
- What Rewards May I Win? Huuuge Casino Help Cente
- Partners Can Share Their Love of Flora & Fauna al Peggy Notebaert Nature Museum di Chicago
- भगोरिया में शामिल हुए कांतिलाल भूरिया
- कांग्रेस के बैंक खातों को सीज करने पर कमलनाथ बोले-सरकार निचले स्तर पर उतर आयी है
शिवराज सरकार पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 हजार का जुर्माना लगाते हुए तल्ख टिप्पणी की, कहा- सरकार ने जानबूझकर याचिका दायर करने में देरी की
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस मामले में कुछ नहीं किया जा सकता..सरकारें जानबूझकर याचिका दायर करने में देर करती हैं ताकि उन्हें ये बहाना मिल सके कि कोर्ट ने याचिका ख़ारिज कर दी है।
दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की सरकार की एक याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उच्च अदालत कोई सैर करने की जगह नहीं, कि जब जिसकी मर्जी हो चला आए। शीर्ष कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की तरफ से लेटलतीफी पर नाराजगी जताई है। यही नहीं, कोर्ट का समय बर्बाद करने के कारण एमपी सरकार पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है। और एमपी सरकार की मंशा पर सवाल भी उठाए हैं। यह याचिका मध्यप्रदेश सरकार बनाम भेरू लाल के मामले में दायर की गई थी। याचिका निर्धारित समय से 663 दिनों की देरी के बाद दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि “सरकारें जानबूझकर याचिका दायर करने में देरी करती हैं। जिससे उन्हें ये बहाना मिल सके कि कोर्ट ने याचिका ख़ारिज कर दी है। तो इस मामले में कुछ भी नहीं किया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि दी गई अवधि को अनदेखा करने वाली सरकारों के लिए कोर्ट कोई सैर करने की जगह नही है। इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और दिनेश माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी।
कोर्ट में प्रदेश सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अधिकारियों की वजह से दस्तावेजों को ढूढ़ने और उन्हें इक्कठा कर व्यवस्थित करने में हमें समय लगा। जिसके कारण याचिका दायर करने में देरी हुई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बात सच हैं कि सरकारों को याचिका दायर करने के समय को लेकर कुछ छूट दी जाती है, लेकिन इसे असीमित समय तक नहीं बढ़ाया जा सकता है। यह याचिका 15 अक्टूबर को पीठ के सामने सुनवाई के लिए आई थी।
क्या था भेरूलाल बनाम मध्यप्रदेश राज्य केस
भेरूलाल जो की एक ग्राम पंचायत सचिव थे, उनका स्थानांतरण 19 अगस्त 2014 को विकास खंड कचरौद की ग्राम पंचायत मोगदी से ग्राम पंचायत बतलावड़ी कर दिया गया था। अपने ट्रांसफर के विरोध में उन्होंने एक रिट पिटिशन दायर की थी। मोगदी पंचायत में काम करते हुए उन्हें 2 साल 5 महीने ही हुए थे जबकि कानूनी नियमों के हिसाब से उनका ट्रांसफर 3 साल बाद ही किया जाना था। अपने असमय स्थानांतरण को लेकर ही उन्होंने कोर्ट का रुख किया था। जिसपर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है।