- मंदसौर गोलीकांड पर शिवराज का बयान अपराध बोध का प्रतीक - पारस सकलेचा
- कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी 12 जून को जबलपुर प्रवास पर
- मप्र कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग 15 जून से प्रदेश भर में निकालेगा चरणबद्ध ‘कमलनाथ संदेश यात्रा’
- लखनऊ के कोर्ट में बुधवार पर आए बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या
- बृजभूषण को गिरफ्तार किया जाए और फेडरेशन का अध्यक्ष किसी महिला को बनाया जाए - पहलवान
इस शॉर्ट फिल्म को देखकर बताएं, क्या वाकई सब ठीक है..?

हमारे देश में जहाँ एक जगह देविओं को पूजा जाता हैं वहीँ दूसरी ओर माता के तौर पर या फिर एक पत्नी के तौर पर उनका शौषण किया जाता हैं. यह एक ऐसी सच्चाई है जिससे आज तक कोई भी नहीं बच पाया हैं. आपने भी यह समस्या कई बार होते हुए देखी होंगी. यह मानव समाज का एक ऐसा अंग बन गयी हैं जहाँ स्त्रियों को पुरषों की तुलना में बहुत कम आँका जाता हैं. लेकिन हम आज इस विशव के बारें में ज्यादा चर्चा नहीं करेंगे. परन्तु इससे जुडी हुई एक कहानी साँझा करेंगे जिसे देखकर आप सोच के सागर में डूब जायेंगे.
यह कहानी एक ऐसी माँ- बेटी के बारें में हैं जो कि रोज़ अपने दिनचर्या के बारें में बात करती हैं. एक दुसरे की ज़िन्दगी की हर खुशियाँ शेयर करती हैं. लेकिन सिर्फ एक ही चीज़ एक दुसरे को बयां नहीं कर पाती वह हैं एक दुसरे का दर्द. आप विडियो में देखेंगे की कैसे अपनी ज़िन्दगी से लड़ते हुए भी यह कैसे खुश रहने का नाटक करती हैं.
इसे भी पढ़े: ये है वो दस वाहियात शब्द , जो दिल्ली के लोग बोलते है
आपको कहानी समझने में आसानी हो इसीलिए हम आपको कहानी संछिप्त में बता देते हैं. कहानी में एक माँ और बेटी हैं. माँ भारत में रही हैं और अपने पति के अंतिम क्षण में उनका साथ दे रही हैं इस बात से बेखबर बेटी अमेरिका में बेटी रोज़ पति के तानों को छेल रही हैं. उसे यह भी पता रहता है कि उसके पति का किसी और के साथ अफेयर चल रहा हैं. लेकिन यह दर्द अपने माता पिता के साथ साँझा करने में डरती हैं. एक दिन जब वह भारत अपनी माँ के पास पुनः भारत आती हैं तो देखिये क्या होता हैं. क्या “सब ठीक है…”