सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी की पहली बैठक आज

सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की समिति बनाई थी, लेकिन अब तीन सदस्य ही बचे हैं, भूपिंदर सिंह मान समिति से अलग हो चुके हैं

नई दिल्ली। मोदी सरकार के विवादित कृषि क़ानूनों के मसले का समाधान खोजने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से बनाई समिति की पहली बैठक आज होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने समिति में चार सदस्य बनाए थे, लेकिन उनमें से एक सदस्य के अलग हो जाने के बाद आज तीन सदस्य ही बैठक में शामिल होंगे। समिति की बैठक दिल्ली के पूसा इंस्टीट्यूट में होनी है। इस बीच तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का आंदोलन 55 दिन से जारी है।

नए कृषि कानूनों पर चल रहे विरोध का हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति की पहली बैठक में आज तय होगा कि किसानों से कैसे बातचीत की जाए। आगे की रणनीति तैयार करने के लिए भी कमेटी कोई बड़ा फैसला ले सकती है। यह बैठक दिल्ली के पूसा इंस्टीट्यूट में होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को समिति में 4 सदस्यों की समिति बनाई थी। ये सभी सदस्य ऐसे हैं जो कृषि क़ानूनों का खुलकर समर्थन करते रहे हैं। ऐसे में किसान संगठनों ने समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उससे बात करने से इनकार कर दिया। विवाद इतना बढ़ा कि समिति के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने ख़ुद को अलग कर लिया। भारतीय किसान यूनियन (मान) के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने कहा कि वे किसानों के साथ हैं। अब इस समिति में तीन ही सदस्य बचे हैं – इंटरनेशनल पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और शेतकरी संघटना के नेता अनिल घनवट। फ़िलहाल मान की जगह किसी और को नियुक्त नहीं किया गया है।

समिति के सदस्य अनिल घनवट ने मीडिया से कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोई नया सदस्य नियुक्त नहीं करता है, तो मौजूदा सदस्य ही अपना काम करेंगे। घनवट के मुताबिक समिति 21 जनवरी से अपना काम शुरू कर देगी। आज की बैठक में मुख्यतौर पर समिति के आगे के कामकाज की रूपरेखा तैयार की जानी है।

इस बीच, तीनों नए कृषि क़ानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी की माँग कर रहे किसानों का आंदोलन पिछले 55 दिनों से जारी है। भयानक सर्दी के बावजूद लाखों किसान पिछले 55 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर खुली सड़क पर डटे हुए हैं। अब किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर तिरंगे के साथ ट्रैक्टर परेड निकालने का एलान भी किया है।

किसानों की इस ट्रैक्टर परेड के बारे में कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट से माँग की गई थी कि वो किसानों की परेड पर रोक लगा दे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि किसानों को परेड की इजाज़त देने या नहीं देने का फ़ैसला दिल्ली पुलिस को ख़ुद ही करना चाहिए, क्योंकि यह दिल्ली की क़ानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है। सुप्रीम कोर्ट 20 जनवरी को इस मामले में फिर से सुनवाई करेगा।

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