‘शिवराज’ सरकार ने फरवरी माह के 20 दिन में औसतन रोजाना 400 करोड़ रु. का कर्ज लिया

  • पहले उप चनुाव और अब निकाय चुनाव ने बढ़ाई टेंशन
  • शहरों के अटके ‘विकास’ को रफ्तार देने 11 महीने में 26 बार लिया कर्ज

शिवराज सरकार लगातार कर्जदार होती जा रही है। राज्य सरकार ने फरवरी माह के 20 दिनों में ही औसतन रोजाना 400 करोड़ का कर्ज लिया। इसके बाद बजट सत्र शुरू होने के अगले दिन 23 फरवरी को खुले बाजार से 3 हजार करोड़ का नया कर्ज ले रही है। अगर शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल की बात करें, तो 11 महीनों में (26 बार) 35 हजार करोड़ का कर्ज लिया गया है।

मंत्रालय सूत्रों ने बताया, पहले उप चुनाव और निकाय चुनाव ने सरकार की टेंशन बढ़ाई है। अगले माह निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू हो सकती है। इससे पहले सरकार वित्तीय संकट के चलते शहरों में अटके विकास के प्रोजेक्ट को रफ्तार देने की कवायद में जुटी है। यही वजह है, फरवरी माह में तीन बार 11 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। इसके बाद अब 3 हजार करोड़ फिर बाजार से उठाने के लिए वित्त विभाग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह कर्ज 20 साल के लिए लिया जा रहा है।

आरबीआई के माध्यम से 23 फरवरी को बाजार से 3 हजार करोड़ का कर्ज लेने के लिए वित्त विभाग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।

कोरोना संक्रमण के चलते आर्थिक संकट की मार
कोरोना संक्रमण के चलते आर्थिक संकट से मध्य प्रदेश सरकार उबर नहीं पा रही है। इस दौरान उप चुनाव और अब निकाय चुनाव के कारण सरकार के सामने आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है, सरकार को बार-बार विकास कार्यों के लिए कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है।

पिछले माह केंद्र ने दी थी राहत
नगरीय निकाय चुनाव से ठीक पहले केंद्र ने यह अनुमति देकर शिवराज सरकार को बड़ी राहत दी है। केंद्र की शर्त के मुताबिक राज्य सरकार को कर्ज की राशि का 50% नागरिक सुविधाओं में खर्च करना होगी।

7 हजार करोड़ का राजस्व कम मिला
कोरोना ने राज्य की आर्थिक कमर तोड़ी है। इस दौरान आर्थिक गतिविधियां ठप होने के कारण राजस्व संग्रहण प्रभावित हुआ था। हर साल राजस्व में 10 से 12% की वृद्धि की जाती है, लेकिन मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य को करीब 7 हजार करोड़ रुपए कम राजस्व मिला है। इसी तरह केंद्र से GST में राज्य की हिस्सेदारी का 6900 करोड़ रुपए कम मिला है।

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