अधिक मंत्री बनाकर मुश्किल में फंसी शिवराज सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस

-पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी याचिका, जारी हुआ सरकार को नोटिस

भोपाल. कांग्र्रेस नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति की सुप्रीप कोर्ट में दायर की गई याचिका पर शिवराज सरकार मुश्किल में फंसती दिखाई दे रही है. नियम के विपरीत जाकर तय संख्या से अधिक मंत्री बनाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार को नोटिस भेजा है.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने दो जुलाई को कैबिनेट विस्तार किया है. जिसमे 28 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी. इसमें कैबिनेट और राज्यमंत्री शामिल हैं. मध्यप्रदेश में इस समय 33 मंत्री हैं.

पूर्व स्पीकर ने उठाया मुद्दा
मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार का मुद्दा उठाया. याचिका में कहा गया है कि वर्तमान विधानसभा सदस्यों की संख्या के मुताबिक 34 मंत्री नहीं बनाए जा सकते. विधानसभा में जितनी सदस्य संख्या है उसके हिसाब से विधानसभा सदस्यों की 15ः संख्या से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते. ये वैधानिक व्यवस्था है, लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में तय संख्या से ज्यादा मंत्री बनाए गए हैं. प्रजापति ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एन पी प्रजापति की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है. एनपी प्रजापति की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा ने पैरवी की.

यह है पूरा मामला
मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति नें याचिका दायर करते हुए मंत्रिमंडल विस्तार को चुनौती दी. याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा ने दलील दी कि प्रदेश में हुआ मंत्रिमंडल विस्तार संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) का स्पष्ट उल्लंघन है। आर्टिकल 32 के तहत दायर याचिका में मुद्दा उठाया गया है कि हाल ही में शिवराज सरकार ने 28 मंत्रियों की नियुक्ति की है, जबकि पूर्व में पहले से ही पांच मंत्री नियुक्त किए गए थे. इस लिहाज से मध्य प्रदेश में
मंत्रिमंडल में सदस्यों की कुल संख्या 33 हो गई.

जबकि नियम की बात की जाए तो धारा 164ए के तहत विधानसभा की कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत सदस्य ही मंत्री बनाए जा सकते हैं. जिसका कुल आंकड़ा सिर्फ 30 मंत्रियों का होता है. बावजूद इसके चार मंत्री ज्यादा बना दिए गए हैं. याचिकाकर्ता की दलील को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नोटिस जारी कर दिए हैं. गौरतलब है कि मंत्रिमंडल गठन के साथ ही यह बात उठ रही थी कि नियम के विपरीत जाते

हुए मंत्रिमंडल सदस्यों की संख्या ज्यादा कर दी गई है जो कानून का स्पष्ट उल्लंघन है.

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