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महिला अत्याचार को रोकने के लिए शिवराज सरकार गंभीर नहीं है- महिला आयोग
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा कि प्रदेश में लगातार बदमाश बेखौफ होकर घूम रहे हैं. बलात्कार और गैंगरेप के मामले में राज्य नम्बर वन पर रहा है.
भोपाल. राज्य महिला आयोग ने शिवराज सरकार को असंवेदनशील बताया है. आयोग ने सरकार पर महिला अपराधों को लेकर कई सवाल भी खड़े किए हैं. आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने प्रदेश सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार असंवेदनशील है.
मध्यप्रदेश में पिछले कई दिनों से महिला अपराध बढ़े हैं. 2019 के जो आंकड़े आये हैं, जो बताते हैं कि जब शासन प्रशासन संवेदनशील होता है, तो अपराध पर लगाम लगती है लेकिन अब हालात अलग हैं. पुलिस भी एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है. करेरी से एक माता पिता आये हैं, जिनकी बेटी की हत्या हुई है लेकिन पुलिस ने आत्महत्या का मामला दर्ज किया.
कमलनाथ सरकार की तारीफ की
शोभा ओझा ने कमलनाथ सरकार की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगातार बदमाश बेखौफ होकर घूम रहे हैं. प्रदेश बलात्कार और गैंगरेप के मामले में नम्बर वन पर रहा है. कमलनाथ सरकार के समय रेप के मामलों में कमी आई. सरकार के मुखिया अगर संवेदनशील रहेंगे तो पुलिस भी संवेदनशील रहेगी. प्रदेश में पिछले डेढ़ दशक से महिलाओं के अपराध बढ़ते आ रहे हैं. दुष्कर्म, गैंगरेप मारपीट जैसे कई अपराध प्रदेश में आम हो गए हैं. प्रदेश की महिलाएं डरी हुई हैं, जबकि गुंडे बदमाश खुलेआम घूम रहे हैं.
कांग्रेस से आई हैं शोभा ओझा
कमलनाथ सरकार के दौरान शोभा ओझा कांग्रेस मीडिया सेल की अध्यक्ष थीं. सरकार में उथल पुथल के बीच उन्हें आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया.
शोभा ओझा ने कहा कि शिवराज सरकार में पिछले 1 महीने के आंकड़े उठाते हुए देख लीजिए जिससे सब कुछ साफ हो जाएगा कि एक तरफ सरकार बेटी बचाओ का अभियान चलाती है. मगर दूसरी और महिलाओं के मामले दर्ज नहीं किये जा रहे हैं. सीएम शिवराज पर हमला करते हुए शोभा ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आप को मामा कहते हैं मगर महिलाओं पर हों रहे अत्याचारों पर हमेशा चुप्पी साधे रहते हैं.
उन्होंने कहा कि सीएम मामा बनने का ढोंग बन्द कर पिछली सरकार की तरह ही कदम उठाए और महिला आयोग को अपना कार्य करने दें.
बीजेपी ने दिया जबाव
प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि हमारी सरकार अपराधों को लेकर संवेदनशील है. हर एक मामले में कार्रवाई की जाती है. आयोग को यदि किसी बात की शिकायत है तो वह संज्ञान लेकर एक प्रक्रिया के तहत स्वतंत्र है. लेकिन इस तरीके के गलत आरोप लगाना आयोग को शोभा नहीं देता है. आयोग का पद संवैधानिक है. ऐसे में अध्यक्ष को अपने पद का भी ध्यान रखना चाहिए. सभी को पता है कि शोभा ओझा कांग्रेस से है और ऐसे में वह एक राजनेता की तरह बयानबाजी कर रही है.