स्कूल की बिल्डिंग पिछले 2 सालों से जर्जर, खुले आसमान के नीचे पढ़ रहे एमपी के इस गाँव में बच्चे

भोपाल- एमपी की शिवराज सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को दूरुस्त करने का वादा कर रही है लेकिन मध्य प्रदेश के सिंगरौली (Singrauli) जिले की ये तस्वीरें कुछ और हकीकत बयान कर रही हैं. ये सिंगरौली जिले के ताल गांव का सरकारी स्कूल है. जमीन पर बैठे बच्चे, हाथों में किताब और सिर पर खुला आसमान. ये तस्वीर यह बताने के लिए काफी हैं कि यहां के सरकारी स्कूल (Government School) में बच्चे किन हालातों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

खुले आसमान के नीचे पढ़ाई
सिंगरौली जिले की ताल गांव में शासकीय विद्यालय का भवन जर्जर होने के कारण स्कूल के छात्र स्कूल के सामने खुले आसमान के नीचे बैठकर पढाई करने को मजबूर हैं. बताया जा रहा है कि स्कूल की बिल्डिंग पिछले 2 सालों से जर्जर अवस्था में है. बिल्डिंग की छत में जगह जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. वहीं एक कमरे की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. स्कूल के अंदर जान का खतरा होने के कारण शिक्षकों ने स्कूल को खुले आसमान के नीचे संचालित करना शुरू कर दिया. हाल यह है कि बारिश के दिनों में गीली जगह में ही बैठकर बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ती है.

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
स्कूल की हालत देखकर बच्चों के अभिवावक भी अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं. इस सबके बावजूद जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे. जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर ही खानापूर्ति कर रहे हैं.

अधिकारियों द्वारा कोई पहल नहीं
वहीं प्रधानाध्यापक धीरेंद्र दुबे ने बताया कि, स्कूल भवन की छत जर्जर हालत में है और कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा है. इसके लिए कई बार वरीय अधिकारियों को सूचना दी गई है लेकिन फिर भी कोई पहल नहीं हो पाई है. साथ ही उन्होंने बताया कि छात्रों को स्कूल के सामने खुले आसमान के नीचे बैठाकर शिक्षा दी जा रही है.

शिक्षा नीतियों को लग रहा पलीता
बता दें कि सरकार की शिक्षा का अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है लेकिन शासन प्रशासन आंख-कान मूंदकर बैठा है. स्कूल में बेंच तक नहीं है और भवन जर्जर हालत में है. बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. हमारे शिक्षण संस्थानों की यह तस्वीर सरकार के सुशासन के नारे को चिढ़ा रही है.