बीजेपी के कार्यकाल से असंतुष्ट है जनता, सर्वे में हुआ खुलासा

नई दिल्ली- लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने सियासी समीकरणों को साधना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिश करेगी. वहीं, कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के सहारे खिसकती सियासी जमीन को फिर से मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. वहीं, टीआरएस नेता केसीआर के नेतृत्व में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट ने भी बहुतों की बेचैनी बढ़ा दी है.

लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों की रणनीतियों, चुनावी दावों और समीकरणों को मापने के लिए हाल ही में सी-वोटर और इंडिया टुडे ने एक सर्वे किया. जिसमें ‘अगर अभी लोकसभा चुनाव होते हैं, तो जनता का क्या मूड है’ की तर्ज पर इसे परखा गया. इस सर्वे में सामने आया कि मोदी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट होने वालों का आंकड़ा बीते 6 साल में करीब 50 फीसदी के हिसाब से बढ़ गया है.

6 सालों में कुछ ऐसे बढ़ा असंतुष्टों का आंकड़ा

सर्वे के अनुसार, मोदी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट लोगों का आंकड़ा 18 फीसदी है. वहीं, 2016 में हुए इसी सर्वे में ये आंकड़ा केवल 12 फीसदी था. इस आधार पर कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट लोगों का आंकड़ा 6 सालों में 6 फीसदी बढ़ गया है. हालांकि, हर बदलते साल के साथ यह ऊपर-नीचे होता रहा है.

कोरोना महामारी के दौरान अगस्त 2020 में हुए इस सर्वे में मोदी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट लोगों का आंकड़ा महज 9 फीसदी था. जो अब 18 फीसदी हो गया है. वहीं, बीते साल अगस्त में हुए इस सर्वे में मोदी सरकार के कामकाज के खिलाफ असंतुष्टों का आंकड़ा 32 फीसदी तक पहुंच गया था. जो नए सर्वे में तकरीबन आधे पर पहुंच गया है.

सर्वे में एक चौंकाने वाला आंकड़ा और भी

इस सर्वे में मोदी सरकार के कामकाज से खुश लोगों का आंकड़ा चौंकाने वाला है. सर्वे के मुताबिक, मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट लोगों का आंकड़ा 67 फीसदी है. वहीं, इस सर्वे में ये बात भी निकल कर सामने आई है कि 2016 में मोदी सरकार के कामकाज से न संतुष्ट ना ही असंतुष्ट लोगों का आंकड़ा 40 फीसदी था. जो जनवरी 2023 के इस सर्वे में घटकर महज 11 फीसदी रह गए.

इस सर्वे में ये भी सामने आया कि पीएम पद विकल्प के तौर पर 52 फीसदी लोग नरेंद्र मोदी के पक्ष में खड़े नजर आते हैं. वहीं, राहुल गांधी के पक्ष में महज 14 फीसदी लोग दिखाई पड़ते हैं.