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प्रियंका गांधी वाड्रा ने अशफाक और बिस्मिल को किया याद, कहा- इन दोनों ने इंसानियत का पाठ पढ़ाया

स्वतंत्रता सेनानी अशफाक उल्लाह खान की जयंती के मौके पर उन्हें याद करते हुए कांग्रेस (Congress) महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को कहा कि अशफाक और राम प्रसाद बिस्मिल ने न सिर्फ साथ मिलकर देश के लिए कुर्बानी दी, बल्कि इंसानियत का पाठ भी पढ़ाया.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘अशफ़ाक उल्ला खान और राम प्रसाद बिस्मिल… दोनों की कहानी आपने सुनी होगी तथा आज के समय में इस कहानी को कहना और जरुरी है. आज अशफ़ाक उल्ला खान का जन्मदिन है.’
प्रियंका ने कहा, ‘ अशफ़ाक और बिस्मिल शाहजहाँपुर के रहने वाले थे. दोनों यह जानते थे कि उनके धर्म अलग-अलग हैं. दोनों यह समझते थे कि उनके कई सारे रीति-रिवाज अलग-अलग हैं. लेकिन दोनों ने साथ मिलकर देश के लिए क़ुर्बानी दी और इंसानियत का पाठ पढ़ाया.’
उन्होंने कहा, ‘अशफ़ाक- बिस्मिल की एकता को सलाम और दोनों स्वतंत्रता सेनानियों को शत शत नमन.’
काकोरी कांड में हुई थी फांसी
बता दें अशफाक और राम प्रसाद राम प्रसाद बिसमिल ने शहर के एवी रिच इन्टर कॉलेज में एक साथ पढ़ाई की और आजादी की लड़ाई में शामिल हुए. आज भी दोनों की दोस्ती मुल्क में हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिशाल पेश करती है. दोनों को ही काकोरी कांड में 17 दिसम्बर 1927 को फांसी दे दी गई थी. वही काकोरी कांड जिसने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थीं.
शाहजहांपुर के अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां की दोस्ती आज भी एक मिसाल है. क्रांतिकारियों में राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां की दोस्ती काफी लोकप्रिय थी. दोनों की दोस्ती के पीछे का कारण कविता-शायरी थी.
क्या लिखा था अशफाक और बिस्मिल ने
अशफाक कविता और शायरियों के खासे शौकीन थे. कविताओं में वो अपना उपनाम हसरत लिखा करते थे. एक अशफाक ने लिखा था कि ‘जमीं दुश्मन, जमां दुश्मन, जो अपने थे पराये हैं, सुनोगे दास्ताँ क्या तुम मेरे हाले परेशां की.’
वहीं राम प्रसाद बिस्मिल भी कविताएं लिखते थे. उन्होंने ही लिखा था- ‘हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शिर नवाऊँ. मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ. माथे पे तू हो चन्दन, छाती पे तू हो माला ; जिह्वा पे गीत तू हो, तेरा ही नाम गाऊँ.’