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मुंबई में पेड़ों की कटाई पर लगाई रोक, बेंच ने कहा- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भी पार्टी बनाए जाए

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की में पेड़ों की कटाई पर सोमवार को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि यह (आरे फॉरेस्ट) एक इको-सेंसटिव जोन है या नहीं। इस इलाके में विकास कार्य नहीं किए जा सकते थे, इसलिए हमें दस्तावेज दिखाएं। साथ ही कहा है कि इस मामले में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भी पार्टी बनाया जाए। अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी, तब तक यथास्थिति बनाए रखें।
इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जरूरत के मुताबिक पेड़ काट लिए गए हैं, अब आरे कॉलोनी में और कटाई नहीं होगी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पेड़ों की कटाई का विरोध करने वाले सभी प्रदर्शनकारियों को तत्काल रिहा किया जाए।
इससे पहले लॉ स्टूडेंट्स के एक प्रतिनिधिमंडल ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने सीजेआई को पत्र सौंपकर मामले में हस्तक्षेप की अपील की थी। उधर मुंबई में गिरफ्तार 29 प्रदर्शनकारियों को हॉलीडे कोर्ट से जमानत मिलने पर ठाणे जेल से रिहा कर दिया गया। लेकिन, अदालत ने शर्त रखी है कि ये लोग अब किसी प्रदर्शन में शामिल नहीं होंगे।
छात्रों ने लिखा- मुंबई के फेफड़ों की हत्या हो रही
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे रिशव रंजन रिशव ने बताया था कि पत्र में सीजेआई को लिखा गया- मुंबई के फेफड़ों की हत्या हो रही है। आरे कॉलोनी में इनकी कटाई रुकवाइए। जब हम आपको यह पत्र लिख रहे हैं, तब मुंबई में मीठी नदी के किनारे स्थित आरे फॉरेस्ट के पेड़ काटे जा रहे हैं। खबरों के अनुसार अभी तक 1,500 पेड़ों को काटा जा चुका है। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एमएमआरसी) और म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ ग्रेटर मुंबई (एमसीजीएम) की गतिविधियों पर नजर रख रहे हमारे साथियों को जेल भेज दिया गया है। वे अपने माता-पिता से भी बात नहीं कर पा रहे हैं।’
रिशव ने कहा- हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट तत्काल पेड़ों की कटाई पर रोक लगाए, जिससे 2700 पेड़ों में से कम से कम कुछ पेड़ों को बचाया जा सके। कार शेड आरे कॉलोनी में 33 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। यह मीठी नदी के किनारे स्थित है, जिसकी कई उपधाराएं और नहरें हैं। ये नहीं रहेंगी, तो मुंबई में बाढ़ आ सकती है। इसमें 3,500 पेड़ हैं जिनमें से 2,238 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव रखा गया है। सवाल यह है कि एक ऐसा जंगल जो नदी किनारे है और जिसमें 3,500 पेड़ हैं, उसे एक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग के लिए क्यों चुना गया।
किरीट सोमैया ने किया फडणवीस का बचाव
इसी क्रम में भाजपा नेता किरीट सोमैया ने इस मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आलोचना पर कहा कि वह सिर्फ कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं। सोमैया ने कहा हम कोर्ट के आदेश को स्वीकार करते हैं और इसका सम्मान करते हैं। यह दु:खद है कि कुछ लोग मुख्यमंत्री फडणवीस की तुलना जनरल डायर से कर रहे हैं। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। अगर जरूरत होगी तो हम चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करेंगे। मेट्रो परियोजना में हम देर नहीं करना चाहते, क्योंकि इससे मुंबई पर बोझ बढ़ेगा।