मोदी सरकार की मुद्रा स्‍कीम ने भारतीय रिज़र्व बैंक की बढ़ाई टेंशन!

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम के जैन ने मुद्रा लोन स्‍कीम में कर्ज वसूली की बढ़ती समस्या को लेकर चिंता जताई है. मंगलवार को एक कार्यक्रम में एम के जैन ने कहा, ‘‘मुद्रा योजना पर हमारी नजर में है. इस योजना ने जहां एक तरफ देश के कई लाभार्थियों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में बड़ी मदद की तो वहीं इसमें कई कर्जदारों के बीच नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए के बढ़ते स्तर को लेकर कुछ चिंता भी है.’’

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इस मामले में आरबीआई के डिप्‍टी गवर्नर ने बैंकों को सुझाव भी दिया है. उन्‍होंने कहा कि बैंकों को इस तरह के कर्ज देते समय दस्तावेजों की जांच-परख के स्तर पर कर्ज किस्त के भुगतान की क्षमता पर भी गौर करना होगा. इसके अलावा ऐसे कर्ज का उनकी पूरी अवधि तक करीब से निगरानी करें.

वित्त वर्ष 2018-19 में मुद्रा लोन का NPA बढ़ा

बीते जून महीने में एक RTI से हासिल जानकारी में बताया गया था कि सिर्फ वित्त वर्ष 2018-19 में मुद्रा लोन के एनपीए में 9,204.14 करोड़ रुपये की बढ़त हुई है. वहीं मार्च 2019 तक मुद्रा योजना का एनपीए बढ़कर 16,481.45 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि मार्च 2017 तक एनपीए 7,277.31 करोड़ रुपये था. वहीं अगर लोन बांटने के आंकड़ों की बात करें तो 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च, 2019 के बीच मुद्रा योजना के तहत कुल 3.11 लाख करोड़ रुपये के वितरित किए गए.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में मुद्रा लोन योजना की शुरुआत की थी. यह योजना सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को जरूरी वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराने के लिये शुरू की गई है. रोजगार सृजन और कारोबार शुरू करने की इस फ्लैगशिप योजना के लिए निजी और सरकारी क्षेत्र के बैंकों, माइक्रो फाइनेंस संस्थानों से 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के कर्ज़ बांटे जा रहे हैं.

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