‘महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान दें सरकार, न्यायिक प्रणाली हुई फेल’

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019 में भारत में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा भी छाया रहा. इस दौरान शामिल हुए सदस्यों ने महिलाओं की सुरक्षा पर अपनी राय रखी. थिएटर एक्टिविस्ट उषा गांगुली ने महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर प्ले किया और उसके माध्यम से महिलाओं की पीड़ा समझाने की कोशिश की, साथ ही कार्यक्रम में देश की न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाए.

कोलकाता के ओबेरॉय ग्रैंड होटल में इंडिया टुडे ग्रुप के लोकप्रिय कार्यक्रम इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019 में ‘भारत बेटियों के लिए असुरक्षित क्यों है?’ मुद्दे पर बातचीत हुई. इस दौरान वकील प्रियंका तिब्रेवाला ने हैदराबाद एनकाउंटर पर कहा, ‘कुछ वक्त तक आप बस इंतजार करते रहते हैं. निर्भया कांड को सात साल हो गए. हम जानते हैं हमारी न्यायिक प्रणाली फेल हो गई है. निर्भया फंड बना, उसके बाद भी हम फेल हो गए हैं. हैदराबाद मामले पर पुलिस की सराहना करती हूं.’

‘कानून पर भरोसा नहीं’

मिस यूनिवर्स इंडिया उशोशी सेन ने कहा, ‘हैदराबाद एनकाउंटर मामले में एक महिला के तौर पर खुश हूं लेकिन एक नागरिक के तौर पर हैदराबाद एनकाउंटर से दुखी हूं.’ वहीं निलांजना चक्रवर्ती ने कहा, ‘हैदराबाद एनकाउंटर मामले से खुश हूं. मुझे आज कानून पर भरोसा नहीं है. संविधान को लिखे कितने साल हो गए. मुझे संविधान पर भरोसा है. लेकिन आज क्राइम बढ़ चुके हैं. ऐसा लगता है कि इसमें बदलाव की जरूरत है.’

निलांजना ने कहा, ‘राजनेताओं को महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए. पुलिस और न्यायिक व्यवस्था को दुरुस्त करने से ही बदलाव आएगा. वास्तविकता में महिलाओं की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. वहीं कागजों में महिला सुरक्षा को लेकर सब कुछ परफेक्ट दिखाया जाता है.’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘जिन राजनेताओं पर रेप के मामले दर्ज हैं, उन्हें सलाखों के पीछे करना चाहिए. उसके बाद हम डिसाइड करेंगे कि हमें क्या करना है.’

‘हिंसा ही हिंसा का जवाब नहीं’

एक्टिविस्ट श्रीरूपा मित्रा चौधरी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं. उन्होंने भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘हिंसा ही हिंसा का जवाब नहीं है. हैदराबाद एनकाउंटर से मैं स्तब्ध हूं. हमें ट्रायल के माध्यम से न्याय चाहिए. जब भी महिलाओं के अधिकारों की बात आती है तो उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है और लोगों का ‘चलता है’ एटीट्यूड सामने आ जाता है. हमें सुरक्षा के लिए वोट देना होगा. हमें निर्भया के नाम पर वोट देना होगा. इसके बाद हमें अपने चुने हुए प्रतिनिधियों से सवाल करना होगा.’

इस कार्यक्रम में थिएटर एक्टिविस्ट उषा गांगुली ने भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए. वहीं उषा ने हैदराबाद एनकाउंटर को लेकर कहा ‘ये तरीका सही नहीं है. कोई लड़की जब भी पुलिस स्टेशन जाती है तो उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती है. पुलिस कहती है कि घर जाओ सब ठीक हो जाएगा. मुझे अपने देश में जंगलराज नहीं चाहिए. कानून पर भरोसा है. कानून को जल्दी लागू करना चाहिए.’

‘रिपोर्ट नहीं होते कई मामले’

उषा गांगुली ने कहा, ‘हम निर्भया जैसे मामलों के बारे में जानते हैं. लेकिन कई ऐसे भी रेप के मामले हैं जो सामने नहीं आते हैं. महिलाओं का यूज किया जाता है और फेंक दिया जाता है. परिवार में ही महिलाओं का शोषण किया जाता है और महिलाओं को चुप करा दिया जाता है. कई ऐसे मामले हैं जो रिपोर्ट ही नहीं होते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमें राजनीतिक दलों और केंद्र सरकार पर महिला सुरक्षा को लेकर दबाव बनाना होगा. मुझे सिर्फ एक्शन पर भरोसा है. हमें एक्शन को अपनाना होगा.’

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