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मध्यप्रदेश उपचुनाव : ग्वालियर-चम्बल में बीएसपी दिखा सकती है बड़ा खेल

भोपाल। मध्यप्रदेश उपचुनावों में मतदान के लिए कुल 6 दिन ही बाकी हैं। सियासी सरगर्मी बढ़ चुकी है और इस बार ग्वालियर चम्बल क्षेत्र की सीटें दांव पर हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक पार्टियों को सत्ता का रास्ता यहीं से नजर आ रहा है। क्योंकि 28 उचुनाव की सीटों में से 16 सीटें इसी क्षेत्र की हैं। अब इन 16 सीटों पर सबसे काम चर्चा में रहने वाली बीएसपी प्रदेश की दोनों राजनीतिक पार्टियों का खेल बिगड़ सकती है। 2018 के विधानसभा चुनावों में भी इन 16 सीटों पर बीएसपी के वोट निर्णायक थे। 2 सीटों पर तो बीएसपी दूसरे नंबर की पार्टी के रूप में उभरी थी।
ग्वालियर चम्बल की जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से 9 सीटों पर बीएसपी कभी न कभी जीत दर्ज कर चुकी है। उपचुनाव में ग्वालियर चम्बल की मेहगांव, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, भांडेर, करैरा और अशोकनगर में पूर्व में बीएसपी के विधायक रह चुके हैं। ग्वालियर चम्बल उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में दलित समुदाय की अच्छी आबादी है। ग्वालियर चम्बल के लगभग सभी जिलों में दलितों की आबादी 15% से ज्यादा ही है। करीब 13 सीटों पर बीएसपी का खासा प्रभाव देखने को मिलता है। जबकि लगभग 15 सीटों पर बीएसपी निर्णायक भूमिका में रहती रही है।
मध्य प्रदेश में 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में बीएसपी को ग्वालियर चम्बल की 13 विधानसभा सीटों में 15000 हजार से लेकर 40000 हजार तक वोट मिले थे। जौरा और पोहरी विधानसभा सीटों में बीएसपी का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर था। जिसकी वजह से बीजेपी इन दोनों सीटों पर तीसरे पायदान तक पहुंच गई थी। इन सीटों पर बीएसपी ने उपचुनावों में भी उम्मीदवार उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
डेढ़ साल पहले 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने ग्वालियर-चंबल की जिन 16 सीटों पर निर्णायक वोट हासिल किए थे। उनमें
पोहरी में 52736,
जौरा में 41014,
करैरा में 40026,
सुमावली में 31331,
अंबाह में 22179,
मुरैना में 21149,
गोहद में 15477,
दिमनी में 14458,
मुंगावली में 14202,
डबरा में 13155,
अशोकनगर में 9559,
मेहगांव में 7579,
बमोरी में 7176,
ग्वालियर पूर्व में 5446,
ग्वालियर में 4596 और
भांडेर में 2634 वोट बीएसपी के उम्मीदवार को वोट मिले थे।
2015 में एससी-एसटी कानून में संशोधन के बाद हुए प्रदर्शनों का मध्य प्रदेश में बड़ा असर देखने को मिला था। जहां प्रदेश के ग्वालियर चम्बल इलाकों में इसपर बड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। इन क्षेत्रों में प्रदर्शन के बाद हिंसा भी देखने को मिली थी। जिसका सीधा असर 2018 के चुनावों में पड़ा था। यहां बीजेपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था और इसका फायदा कांग्रेस को मिलता नजर आया था।
ग्वालियर चंबल क्षेत्र में हो रहे चुनावों में इस बार 16 में से 6 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। जिनमें अंबाह, गोहद, डबरा, भांडेर, करैरा और अशोकनगर हैं। बीएसपी इन सीटों पर अपने लिए उम्मीद देख रही है। लेकिन अन्य जातियों के समीकरण के साथ साथ उम्मीदवारों की अपनी भूमिका भी महत्वपूर्ण रहेगी। खासकर तब जब चुनाव सरकार के मौजूदा मंत्री और अन्य के बीच हो रहा है।