मधु कोड़ाः एक खदान के मजदूर से रातोरात CM बनने का सफ़रऔर अब चुनाव मैदान से बाहर

झारखंड की सियासत में 2006 में ऐसा राजनीतिक उलटफेर हुआ और रातोरात एक निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो जाता है. यह करिश्मा कर दिखाने वाले शख्स का नाम मधु कोड़ा है. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. हालांकि चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने हाई कोर्ट से लेकर देश की शीर्ष अदालत तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली.

खदान में मजदूरी करने वाले एक शख्स के झारखंड का मुख्यमंत्री मधु कोड़ा बनने तक का सफर बेहद रोमांचक है. पिछले विधानसभा चुनाव में कोड़ा चाईबासा की मंझगांव विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे. झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के जगन्नाथपुर के पाताहातू गांव में मधु कोड़ा का जन्म 6 जनवरी, 1971 को हुआ. मधु कोड़ा का शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा रहा, जिसके चलते घर चलाने के लिए उन्हें खदान में मजदूरी का काम करते थे. इसके अलावा उनके पिता भी खेत में मजदूरी का काम किया करते थे.

विधायक से सीएम तक का सफर

ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले मधु कोड़ा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में सक्रिय रहे, तो बीजेपी के टिकट पर पहली बार विधानसभा पहुंचे. कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सहयोग से वह झारखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने, जो निर्दलीय चुनकर आए थे. निर्दलीय विधायक होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाले कोड़ा देश के तीसरे सीएम बने.

झारखंड के पांचवें मुख्यमंत्री के रूप में मधु कोड़ा ने 18 सितंबर, 2006 को शपथ ली और 27 अगस्त 2008 तक रहे. इस तरह मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री के रूप में 23 महीने तक का कार्यकाल पूरा किया. देश में मधु कोड़ा से पहले कोई निर्दलीय विधायक इतना लंबे समय तक सीएम पद पर नहीं रहा था.

आजसू से शुरू की सियासी पारी

मधु कोड़ा के राजनीतिक सफर की शुरुआत ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन(आजसू) के साथ छात्र राजनीति से हुई. इसके बाद कोड़ा आरएसएस से जुड़ गये. संघ के कार्यकर्ता के रूप में भी वह लगातार काम करते रहे. इससे पहले वह ठेका श्रमिक हुआ करते थे. फिर मजदूर यूनियन के नेता बने.आरएसएस में काम करने के दौरान उनकी पहचान झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से हुई. यहीं से कोड़ा को राजनीतिक पहचान मिली और फिर उन्होंने पलटकर नहीं देखा.

मरांडी ने ही साल 2000 में पहली बार कोड़ा को जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव के मैदान में उतारा. कोड़ा जीते और विधायक बने. मरांडी के नेतृत्व में सरकार में मधु कोड़ा पंचायती राज मंत्री बने. इसके बाद 2003 में अर्जुन मुंडा सरकार में भी मंत्री रहे. झारखंड के 2005 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मधु कोड़ा का टिकट काट दिया, जिसके बाद उन्होंने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे और जीतकर एक बार फिर विधायक चुने गए.

2005 में बीजेपी से बगावत निर्दलीय विधायक बने

साल 2005 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, इसके बाद अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनने वाली बीजेपी सरकार को मधु कोड़ा ने समर्थन दिया और खनन मंत्री बने. हालांकि जल्द ही उनका अर्जुन मुंडा के साथ रिश्ते में बिगाड़ आ गया. कांग्रेस और जेएमएम ने मौके के सियासी मिजाज को समझते हुए मधु कोड़ा को अपने खेमे में मिलाया. इसके बाद मधु कोड़ा ने तीन अन्य निर्दलीय विधायकों को अपने भरोसे में लिया और बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसके चलते अर्जुन मंडा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार गिर गई.

मधु कोड़ा ने साल 2006 में सरकार बनाने का दावा पेश किया. कोड़ा सरकार में जेएमएस, आरजेडी, यूनाइटेड गोमांतक डेमोक्रेटिक पार्टी, एनसीपी, फारवर्ड ब्लॉक औप तीन निर्दलीय विधायक शामिल हुए. जबकि, कांग्रेस ने बाहर से समर्थन किया था. मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी खनन विभाग, ऊर्जा सहित अन्य महत्वपूर्ण विभाग अपने पास रखा था.

मधु कोड़ा के दामन लगा दाग

मधु कोड़ा के मुख्यमंत्री रहने के दौरान विनोद सिन्हा नामक व्यक्ति चर्चा में आया. इसके बाद आयकर विभाग ने कोड़ा, विनोद व उससे जुड़े देशभर के 167 स्थानों पर छापेमारी की और कोड़ा के कार्यकाल में कोयला, आयरन और खदान आवंटन और ऊर्जा विभाग में कार्य आवंटन में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया था. इसके बाद जांच एजेंसियां सक्रिय हुईं और कोड़ा व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. इसके चलते कांग्रेस ने मधु कोड़ा सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद मधु कोड़ा को सीएम पद से हटाकर जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन ने सत्ता की कमान संभाली और मुख्यमंत्री बने.

मधु कोड़ा के खिलाफ आयकर व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कसता गया. इसका नतीजा रहा कि नवंबर 2009 को प्रवर्तन निदेशालय ने कोड़ा को गिरफ्तार कर लिया. वह तीन साल से अधिक समय तक जेल में ही रहे. हालांकि मधु कोड़ा ने 2009 में झारखंड की चाईबासा सीट से लड़े और जीतकर विधायक बने. चुनाव आयोग को शिकायतें मिली थीं कि कोड़ा ने चुनाव खर्च का सही ब्योरा नहीं दिया. इसके बाद सितंबर 2017 में चुनाव आयोग तीन साल के लिए मधु कोड़ा को चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. इसी का नतीजा है कि मधु कोड़ा इस बार चुनाव मैदान से बाहर हैं. जबकि, वो जगन्नाथपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे.

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