‘कश्मीर में हालात सामान्य’ अमित शाह के इस दावे को नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने बताया ओछी मानसिकता

जम्मू: नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने पार्टी सांसद फारूक अब्दुल्ला समेत अन्य राजनीतिक नेताओं की हिरासत को न्यायोचित ठहराने के लिए कश्मीर के मौजूदा हालात की तुलना आपातकाल से करने को बुधवार को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह साफ तौर पर केंद्र की ‘ओछी मानसिकता और पाखंड’ को दर्शाता है.

पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भी घाटी में सामान्य हालात होने के केंद्र के बयान के लिए उस पर हमला किया और अपनी इस मांग को दोहराया है कि तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए.

संसद सत्र में अब्दुल्ला को हिस्सा लेने की इजाजत देने की विपक्ष की मांग पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में दिए बयान में कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल के दौरान 30 सांसदों को हिरासत में रखा था.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि यह तुलना और राजनीतिक नेताओं की हिरासत को न्यायोचित ठहराना हास्यास्पद है. यह हास्यास्पद सिर्फ इसलिए नहीं है कि भाजपा स्पष्ट रूप से आपातकाल का विरोध करने में सबसे आगे रही है, लेकिन यह कश्मीर स्थिति पर केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर के विरोधाभासों को भी उजागर करता है.

पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि रेड्डी की टिप्पणी इस बात की स्वीकार्यता है कि जम्मू कश्मीर आपातकाल के बुरे दौर से गुजर रहा है. यह बीते 70 साल से देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की परवाह करने वाले लोकतांत्रिक लोगों के लिए चिंता का सबब है. ऐसे बयान देश के साथ विश्वासघात करते हैं.

प्रवक्ता ने कहा कि गृह राज्य मंत्री का दावा अपने ही गृह मंत्री अमित शाह के बयान का खंडन कर रहा है जो कह रहे हैं कि जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य है.

प्रवक्ता ने पूछा कि अगर स्थिति सामान्य है तो संचार माध्यमों पर रोक क्यों है? राजनीतिक नेताओं को हिरासत में क्यों रखा गया है?

पीडीपी ने भी यहां एक बयान जारी कर जम्मू कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों को शुरू करने की मांग की.

पीडीपी के प्रवक्ता फिरदौस अहमद टाक ने एक बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी को दोहरी बात करने की कला में महारत हासिल है, खासकर तब जब बात कश्मीर की आती है. बयानबाजी करने के बजाय अधिकारियों को राजनीतिक नेताओं सहित अवैध रूप से हिरासत में लिए गए लोगों को तुरंत रिहा करना चाहिए.

जम्मू कश्मीर में जल्द राजनीतिक गतिविधियों के शुरू होने के वरिष्ठ भाजपा नेता राम माधव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पीडीपी ने कहा कि जिस पार्टी ने अपने अहं को संतुष्ट करने के लिए पूरे संवैधानिक तंत्र को रौंद डाला, उसे संवैधानिक अधिकारों को बरकरार रखने के बारे में बात करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.

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