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दिल्ली की सियासत में नया नहीं है पानी का भूचाल, इस मामले से भी सुर्खियों में आया था जल बोर्ड

नई दिल्ली. दिल्ली जल बोर्ड और सुर्खियों का शायद कोई पुराना नाता है. ये ही वजह है कि किसी न किसी मुद्दे के चलते जल बोर्ड लगातार सुर्खियों में बना रहता है. ताजा मामला देशभर में सबसे ज्यादा प्रदुषित पानी दिल्ली का होने से जुड़ा है. लेकिन ये कोई पहला मुद्दा नहीं है जब जल बोर्ड को लेकर चर्चाएं हो रही हैं. इससे पहले टैंकर घोटाले के आरोपों को लेकर भी जल बोर्ड खासा सुर्खियों में रहा था. इतना ही नहीं दिल्ली की सियासत में भी खलबली मचा दी थी.
इस तरह टैंकर घोटाले करने के लगे थे आरोप
2006 में दिल्ली सरकार ने स्टील के टैंकर मंगाने का फैसला किया. 400 टैंकर का टेंडर करीब छह सौ करोड़ रुपये में दिया गया. आरोप कांग्रेस सरकार पर लगे की 180 करोड़ का काम 600 करोड़ में करवाया गया. टैंकर में GPS लगाने का ठेका 60 करोड़ में दिया गया. आरोप लगे कि ये काम 15 करोड़ में किया जा सकता था.
आरोप ये भी लगा कि GPS लगाने का काम बिना टेंडर दिया गया. साथ ही किराए पर चलने वाले 3000 लीटर का स्टील टैंकर का किराया 1 लाख 11 हजार रुपए है. जबकि 9000 लीटर टैंकर का किराया 1 लाख 40 हजार रुपए है.
टैंकर घोटाले से जुड़े ये आरोप बने थे मुद्दा
-आरोपों के अनुसार टैंकर घोटाले में प्राइवेट पानी टैंकरों को किराए पर लेकर पानी वितरण में गड़बड़ी हुई थी.
-आरोप सामने आते ही मई, वर्ष 2015 में आप सरकार ने कपिल मिश्रा की अध्यक्षता में समिति बनाकर जांच के आदेश दिए गए थे.
-अगस्त 2015 में समिति ने रिपोर्ट सौंपते हुए स्वीकार किया कि टैंकर घोटाला हुआ है.
-रिपोर्ट में समिति ने बताया कि 400 करोड़ का टैंकर घोटाला 2012 में कांग्रेस के समय में हुआ था.
-रिपोर्ट में बताया कि भाई-भतीजावाद निभाते हुए 385 टैंकर किराए पर लिए गए थे.
-समिति की रिपोर्ट को तत्कालीन एलजी के पास भेज दिया गया.
-एलजी से मांग की गई कि घोटाले की जांच सीबीआई या फिर एसीबी से कराई जाए.
-एलजी ने समिति की रिपोर्ट एसीबी को जांच के लिए भेज दी थी.
-एसीबी ने कथित टैंकर घोटाले के संबंध में एफआईआर दर्ज की थी.
-टैंकर घोटाले की शिकायत सबसे पहले व्हिसल ब्लोअर इंजीनियर जेपी गौड़ ने की थी.