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न मध्यप्रदेश छोड़ रहा हूँ, न राजनीति से संन्यास का इरादा: कमलनाथ

कमलनाथ ने कृषि कानूनों के विरोध की रूपरेखा बताई
भोपाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ऐलान किया है कि न तो वे मध्यप्रदेश छोड़कर जाएंगे और न ही उनका राजनीति से संन्यास का इरादा है। यह बात कमलनाथ ने गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया से बातचीत में कही।
कमलनाथ ने इस दौरान कृषि कानूनों को काला कानून बताते हुए पूरे प्रदेश में इसके विरोध की रूपरेखा बताई। इसके मुताबिक 15 जनवरी को पूरे प्रदेश में चक्काजाम किया जाएगा व 16 जनवरी से प्रदेश भर में किसान सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। 23 जनवरी को राजभवन का घेराव होगा। किसान सम्मेलन का आगाज 16 जनवरी को छिंदवाड़ा से होगा।
किसान आंदोलन को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आज का किसान आधुनिक है और वह तकनीक और कानून दोनों को बखूबी समझता है।
कमलनाथ ने बताया कि 2019-20 में पंजाब में 175 लाख टन और मध्यप्रदेश में 196 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ है। मध्यप्रदेश में केवल 20 किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है। ऐसे में किसान आंदोलन से सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश प्रभवित होगा। वैसे भी मध्यप्रदेश की 70 फीसदी अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है।
शिवराज पर निशाना
कमलनाथ ने इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निशाने पर लेते हुए कहा कि कर्जमाफी को लेकर वे लगातार झूठ बोलते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शिवराज ने मीडिया का पेट इतना अधिक भर दिया है कि मीडिया को मेरी जरूरत ही महसूस नहीं होती। उन्होंने खुद को प्रचार प्रसार की दुनिया से दूर रहने वाला व्यक्ति बताया।
भाजपा संघ का एजेंडा है निजीकरण
कमलनाथ ने कहा कि कृषि कानूनों से केवल कृषि क्षेत्र का निजीकरण होगा। भाजपा और संघ हमेशा ही निजीकरण के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से ही जनसंघ देश में उद्योग धंधों के निजीकरण के पक्ष में रहा है। बैंकों के राष्टीयकरण के समय भी जनसंघ ने विरोध किया था।