कमलनाथ का वचन- स्व सहायता समूहों को शासकीय उचित मूल्य की राशन की दुकानें आवंटित करेंगे जिन पर घरेलू सामग्री उचित मूल्यों पर मिलेगी

नए स्व सहायता समूहों को शासकीय उचित मूल्य की राशन दुकानें आवंटित करने में प्राथमिकता देंगे, साथ ही सभी श्रेणी के परिवारों को इन राशन दुकानों से अन्य  घरेलू सामग्री उचित मूल्य पर मिले, ऐसी व्यवस्था बनाएंगे।

बीजेपी के हुकमरान अक्सर कहते हैं कि कांग्रेस ने 70 साल में कुछ नहीं किया है लेकिन उन्हें यह भी जानना चाहिए कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरुआत कांग्रेस द्वारा ही किया गया था। यह एक भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली है। भारत में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन तथा भारत सरकार द्वारा स्थापित और राज्य सरकारों के साथ संयुक्त रूप भारत के गरीबों के लिए सब्सिडी वाले खाद्य और गैर खाद्य वस्तुओं वितरित करता है। यह योजना एक जून को भारत में लॉन्च की गयी थी। कांग्रेस की सरकार में वस्तुओं,मुख्य भोजन में अनाज, गेहूं, चावल, चीनी, और मिट्टी का तेल को उचित मूल्य की दुकानों( जिन्हें राशन की दुकानों के रूप में भी जाना जाता है) के एक नेटवर्क जो देश भर में कई राज्यों में स्थापित है के माध्यम से वितरित किया गया। भारतीय खाद्य निगम, जो एक सरकारी स्वामित्व वाली निगम है, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को संभालती है।

कवरेज और सार्वजनिक व्यय में, यह सबसे महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा नेटवर्क माना जाता है। हालांकि, खाद्य राशन की दुकानों द्वारा जितना अनाज वितरित किया जाता है वह गरीबों की खपत जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं या घटिया गुणवत्ता का है। भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनाज की खपत का औसत स्तर प्रति व्यक्ति / माह केवल 1 किलो है। पीडीएस द्वारा शहरी पक्षपात और प्रभावी ढंग से आबादी के गरीब वर्गों की सेवा में अपनी विफलता के लिए आलोचना की गई है। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली महंगी है और इसकी जटिल प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को जन्म देती है। आज भारत के पास चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा अनाज स्टॉक है, जिस पर सरकार 750 अरब रूपये (13.8 अरब डोलर) प्रति वर्ष खर्च करती है। जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1 प्रतिशत है तब भी अभी तक 21% कुपोषित हैं। देश भर में गरीब लोगों को राज्य सरकारों द्वारा खाद्यान्न का वितरण किया जाता है के लिए। आज की तारीख में भारत में 5,00,000 उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) हैं। अगर मध्यप्रदेश की जनता को रोज-मरना में उपयोग होने वाली वस्तुएं भी उचित मूल्य की दुकानों से मिलने लगे, तो गरीबों को इसका फायदा जरूर मिलेगा। यह कांग्रेस की हमेशा से नीति रही है। यदि कमलनाथ की सरकार का गठन हुआ, तो नए तरीके से इस व्यवस्था को लागू करेंगे।

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