झाबुआ उपचुनाव :बीजेपी और कांग्रेस के बीच किसी मुकाबले की कोई सम्भावना नहीं, कांग्रेस का पलड़ा भारी

झाबुआ उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने लोकप्रिय आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारकर बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल पैदा कर दी है। बीजेपी टिकट में देरी के लिए चाहे जो बहाने बनाये लेकिन झाबुआ में एक चर्चा जोरों पर है की बीजेपी को इस समय उपचुनाव लड़ने के लिए कोई बलि का बकरा नहीं मिल रहा है।

झाबुआ उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के मज़बूत प्रत्याशी है, और इधर बीजेपी अभी भी अपने प्रत्याशी कि खोज में लगी हुई है. कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया कमलनाथ सरकार ने मिलकर पिछले 9 महीने में आदिवासी हितों के लिए किए कार्य किये है. जिसके बलबूते पर कांग्रेस ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है .

कमलनाथ सरकार ने पिछले नौ महीने में झाबुआ को कई सौगातें दी है, यहाँ तक कि विश्व आदिवासी दिवस को एक महत्वपूर्ण दिन बनाते हुए इस दिन पूरे राज्य में अवकाश की घोषणा कर आदिवासियों के दिलों में अपने लिये विशेष जगह भी बना ली है।

वर्ष 2006 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों को वनों में रहने और वनोपज से अपनी आजीविका चलाने का अधिकार दिया था लेकिन शिवराज सरकार ने यह अधिकार छीनते हुये आदिवासियों की आजीविका का साधन ही समाप्त कर दिया था।

एक तरफ बीजेपी अंदरुनी गुटबाजी और हनीट्रेप में उसके नेताओं के नाम आने से बैकफुट में नज़र आ रही है वहीं कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले 10 महीनों में झाबुआ और वहां की जनता के लिए जो कुछ भी किया है जनता उन सब की अपेक्षा भी नहीं कर रही थी।

बीजेपी अगले दो-तीन दिनों में अपना प्रत्याशी जरूर घोषित कर देगी लेकिन स्थानीय सूत्रों की मानें तो झाबुआ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच किसी मुकाबले की कोई सम्भावना नहीं है, ये पूरा चुनाव एक तरफा कांग्रेस की तरफ जाता हुआ दिख रहा है।

कुल मिलाकर झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस के पास बताने और जताने के लिए बहुत कुछ है, जबकि BJP के आदिवासी विरोधी निर्णय यदि झाबुआ की जनता को पता चल गये तो BJP के लिए बहुत बड़ी मुश्किल होना तय है।

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