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पटना जलजमाव मामला: आलोचनाओं के बिच घिरे CM नीतीश कुमार को लेकर क्या बिहार BJP बंट गई?

पटना: पटना के जलजमाव ने नगर विकास विभाग, उसके अंतर्गत नगर निगम, बुडंको जैसी संस्था के साथ-साथ राजनीतिक दल और उनके नेताओं की भी पोल खोल कर रख दी. इसमें सत्तारूढ़ भाजपा में कुछ ज्यादा आंतरिक विवाद सामने आया और इस बात में किसी को शक नहीं रहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा में समर्थक कौन हैं और विरोधी कौन?
नीतीश की आलोचना के बहाने कई नेताओं ने अपना राजनीतिक एजेंडा भी खुल कर सामने रख दिया. जहां नीतीश कुमार के समर्थन में बिहार भाजपा के दो वरिष्ठ नेता सुशील मोदी और नंद किशोर यादव एक बार फिर खड़े दिखे. वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार का खुलकर विरोध किया, जो राजनीतिक ताना बाना पिछले एक महीने से बुनना शुरू किया था. उन्होंने अपने विरोध के पत्ते सरकार की आलोचना के नाम पर एक बार फिर खुल कर खेले. इसमें उन्हें बिहार के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा और बिहार भाजपा के नव नियुक्त अध्यक्ष संजय जयसवाल का भी साथ मिला.
हालांकि, सुरेश शर्मा ने ‘अधिकारी मेरी बात नहीं सुनते थे’ वाला राग छेड़ा. लेकिन उनकी ये चाल भारी पड़ गई, क्योंकि चौबीस घंटे में उनका एक पुराना वीडिया सामने आया गया, जिसमें वह उसी अधिकारी की तारीफ के पुल बांध रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने यह बयान दिया था. सुरेश शर्मा को मालूम हैं कि जल जमाव के कारण उनकी काबिलियत पर हर कोई सवाल उठा रहा है तो ऐसे में गिरिराज सिंह के पीछे खड़ा होना उन्हें सुरक्षित लगा.
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी जो इस जलजमाव में खुद आलोचना का सामना कर रहे हैं, उन्होंने ट्वीट कर कहा, एनडीए एकजुट है और नीतीश एक काबिल शासक हैं. इस बयान के जरिए उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच गठबंधन के भविष्य को लेकर संशय खत्म करने की कोशिश की.
लेकिन जनता दल यूनाइटेड के नेताओं को अब इस बात का पूरा एहसास हो गया है कि नीतीश कुमार पर गिरिराज सिंह लगातार निशाना साध रहे हैं, और भाजपा का एक तबका (जिसमें शीर्ष नेतृत्व भी शामिल है) उन्हें उसकी मौन सहमति मिली हुई है. आने वाले दिन में भी किसी ना किसी बहाने ऐसे उन्हें नीचा और विफल दिखाने की कोशिश की जाएगी. उन्हें यह भी एहसास हो गया है कि उनके राजनीतिक विरोधी से ज्यादा उनके सहयोगी गुट की तरफ से ही नीतीश कुमार की आलोचना की जाएगी.
हालांकि, भाजपा नेता भी मानते हैं कि नीतीश कुमार के लिए यह राजनीतिक लाभ है कि उनके आलोचक जिस जाति से आते हैं, उनका मुखर और आक्रामक होना नीतीश समर्थकों को उतना ही एकजुट और लामबंद करता हैं. दूसरा जनता दल यूनाइटेड के मंत्री और प्रवक्ता जिस आक्रामकता से अब नीतीश के बचाव में आ गए हैं, उससे भी उनकी तरफ से संदेश साफ है कि फिलहाल सरकार चलाने के लिए अपने नेता के ऊपर बेवजह आलोचना वो बर्दाश्त नहीं करेंगे. जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का कहना है कि अधिकारी की तरफ से खामी रही है, लेकिन इसके किए सभी अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर अपमान करना भी सरकार में बैठे लोगों के लिए एक गलत परंपरा की शुरुआत है.