इंदौर में मानवता फिर हुई शर्मशार, मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए 32 सीटर बस में 150 बुजुर्गों को ठूंसा

  • चोइथराम नेत्रालय की बस में बुजुर्गाें को लेकर आने में लापरवाही
  • बुजुर्गों को शहर से बाहर छोड़ने की घटना के बाद दूसरा मामला

इंदौर नगर निगम द्वारा बुजुर्गों को शहर से बाहर छोड़ने की शर्मनाक घटना के बाद अब दूसरा मामला स्वास्थ्य विभाग का आया है। यहां भी मानवता शर्मसार होती नजर आई है। देपालपुर से आंखों का ऑपरेशन करवाने बुजुर्गों को चोइथराम नेत्रालय की बस में ठूंस-ठूंस कर भरा गया। 32 सीटर बस में करीब 150 लोगों को बैठाया गया। दो बसों में मरीजों को भरकर ले जाया गया।

बस में सीट पर बैठने वालों से ज्यादा खड़े होकर आए। ब्रेक लगने पर सीट पर बैठे लोगों पर गिरते-पड़ते रहे। मोतियाबिंद ऑपरेशन के नाम पर स्वास्थ्य विभाग की यह कोशिश अमानवीयता से भरी रही। बता दें कि पहले भी इंदौर के एक नेत्र अस्पताल में आंख फोड़वा कांड हुआ था, जिसमें बड़ी लापरवाही सामने आई थी।

घटना मंगलवार की है, जहां देपालपुर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से आए नेत्र मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देपालपुर में आंखों की जांच की गई थी। जांच के बाद मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए मरीजों को चोइथराम अस्पताल भेजा गया था। हालांकि चोइथराम नेत्रालय की बस में बुजुर्गाें को लेकर आने में प्रशासन और अस्पताल के प्रबंधक कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई है।

करीब 40 किलोमीटर का लंबा सफर इसी प्रकार से बुजुर्गों ने किया। बस में सवार मरीजों का कहना था कि हमें जांच के लिए ले जाया जा रहा है। वहीं, बस कंडक्टर और ड्राइवर की माने तो लोग खुद अपनी मर्जी से इतनी संख्या में चढ़कर बैठ गए। मामला सामने आने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों का कहना कि जांच करवाकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे। वहीं, ब्लाक मेडिकल ऑफिसर अस्पताल की बजाय सीएमएचओ ऑफिस इंदौर मीटिंग में व्यस्त थीं। देपालपुर तहसीलदार बजरंग बहादुर ने कहा कि अधिक संख्या में मरीजों को बस में भरकर मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए इंदौर के चोइथराम अस्पताल लाया जा रहा था। स्टाफ को नोटिस जारी किया है।

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