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रीवा में दलित युवती के साथ समूहिक दुष्कर्म, शिवराज सरकार ने केस दबाने की कोशिश की
रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा जिले में दलित विधवा महिला के साथ गैंगरेप की शर्मनाक वारदात सामने आई है। पीड़िता के परिजनों ने पुलिस और कुछ स्थानीय नेताओं पर मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। पीड़ित के बेटे के रीवा के एसपी से शिकायत करने पर पांच दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई है। पीड़िता जिले के संजय गांधी अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है। पुलिस के मुताबिक अब तक पीड़िता का बयान नहीं लिया जा सका है, क्योंकि उसकी हालत बात करने लायक नहीं है। परिजनों की शिकायत के आधार पर महिला थाने में केस दर्ज किया गया है। और कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
हालांकि पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। महिला के बेटे ने संदिग्ध आरोपियों के नाम पुलिस को बताए हैं, फिर भी केस अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया है। पीड़ित महिला के बेटे के मुताबिक उसकी मां के साथ गैंगरेप की वारदात 30 सितंबर की रात हुई, जब उसके घर के पास ही अरुण ठाकुर और उसके पांच साथी शराब पी रहे थे। बेटे के मुताबिक दूसरे दिन उन्हीं लोगों ने बताया कि उसकी मां संजय गांधी अस्पताल में भर्ती हैं। बेटे के मुताबिक उन लोगों ने पुलिस में रिपोर्ट नहीं करने की धमकी भी दी थी। अस्पताल पहुंचने पता चला कि उसकी मां के साथ गैंगरेप हुआ है।
महिला के बेटे ने वारदात की जानकारी रीवा के पुलिस अधीक्षक को दी, जब जाकर रविवार की रात महिला थाने में FIR दर्ज हो पाई। रीवा के पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह का कहना है कि “पीड़िता के पुत्र के बयान के आधार पर महिला थाने में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।”
महिला थाना प्रभारी आराधना सिंह का कहना है कि पीड़िता के बेटे के बयान के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आराधना सिंह के मुताबिक वो खुद पीड़िता का बयान लेने अस्पताल गईं, लेकिन वो अभी बयान दर्ज कराने की हालत में नहीं है। इसीलिए उनके बयान दर्ज नहीं हो सके हैं। अब पुलिस उनकी मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।