MSP पर नहीं बिक रहा सीएम के गृह जिले सीहोर में गेहूं, किसान ने कहा अब ख़ुदकुशी के अलावा कोई रास्ता नहीं

मध्य प्रदेश में गेहूं की एमएसपी 1975 रुपए है, सीहोर में किसान को 1600 से ज्यादा नहीं मिले तो मंडी में रो पड़ा किसान, थ्रेशर के बकाया थे पैसे, कहा, सरकार ने सल्फास खाने पर मजबूर किया

नसरुल्लागंज। मध्य प्रदेश में गेहूं किसान का एक मार्मिक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक किसान फफक-फफककर रोता नज़र आ रहा है। किसान के रोने की वजह ये है कि उनकी उपज को एमएसपी पर नहीं खरीदा गया है। वीडियो में रोते हुए किसान को यह कहते सुना जा सकता है कि अब सल्फास यानी ज़हर खाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। बताया जा रहा है कि यह घटना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृहक्षेत्र सीहोर के नसरुल्लागंज की है। 

किसान के इस मार्मिक वीडियो के सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर करारा वार किया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ट्विटर पर लिखा है, ‘किसानों को एमएसपी मिलना बंद, आत्महत्या करने को मजबूर किसान। मध्य प्रदेश कि नसरुल्लागंज मंडी में किसान का गेहूं 1600 रुपये प्रति क्विन्टल ख़रीदा जा रहा है, जबकि गेहूं की एमएसपी 1975 रुपये है। शिवराज जी, किसानों को रूलाना बंद करो, आपकी सत्ता हवस सबकी ख़ुशियाँ निगल गई।’ 

काले कृषि कानूनों का है असर- जीतू पटवारी

किसान के रोते हुए इस वीडियो को साझा करते हुए कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि यह केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए काले कानूनों का असर है। पटवारी ने ट्वीट किया, ‘काले कृषि कानूनों का असर, किसानों को एमएसपी मिलना बंद : मप्र की नसरुल्लागंज मंडी में किसान का गेहूं 1600 रुपये प्रति क्विन्टल ख़रीदा जा रहा है, जबकि गेहूं की एमएसपी 1975 रुपये है। मोदी जी – शिवराज जी, आपकी किसान विरोधी नीतियों के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है।’ 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने पूछा है कि जब सीएम के गृहक्षेत्र का हालात यह है तो अन्य जिलों के किसानों का क्या हाल होगा? उन्होंने ट्वीट किया, ‘मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के गृह क्षेत्र के किसान को ही एमएसपी नहीं मिल पा रहा है तो सोचिए बाकी प्रदेश के किसानों का क्या हाल हो रहा होगा….? प्रदेश की नसरुल्लागंज मंडी में किसान का गेहूं 1600/- रुपये प्रति क्विन्टल बिका, गेहूं की एमएसपी 1975/- रुपये हैं।’ 

जानकारी के मुताबिक टीकामोर के किसान किशोर सिंह गेहूं की ट्रॉली लेकर उपज मंडी पहुंचे थे। कई घण्टे लाइन में लगे रहने के बाद जब नीलामी हुई तो गेहूं का भाव 1600 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर नहीं जा सका। यह जानकर किसान किशोर सिंह को बड़ा धक्का लगा। चूंकि सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपए रखा है इसलिए वह घर से ये सोचकर आए थे कि इतने रुपए उन्हें मिल जाएंगे। 

किशोर इस बात की शिकायत लेकर प्रभारी मंडी सचिव उमेश सिंह के पास पहुंचे। मंडी प्रभारी ने उन्हें दोबारा नीलामी कराने को कहा। लेकिन इस दौरान व्यापारियों ने बोली लगाने से इनकार कर दिया। इतना सबकुछ देख किशोर के आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वे मंडी में ही फफक-फफककर रोने लगे। वह अपने हाथों में गेहूं लेकर रोते-रोते यह पूछते रहे कि उनके गेंहू में क्या कमी है, लेकिन वहां उत्तर देने वाला कोई नहीं था।

किशोर मंडी के अंदर चीख-चीखकर कहते रहे कि उन्हें थ्रेशर वाले को बकाया पैसे देने हैं, मेरे गेहूं के सिर्फ 1600 रुपए क्यों दे रहे हैं। मंडी में किसान किशोर काफी देर तक रोते रहे और अंत में उन्होंने कहा कि आज मंडी ने ऐसी हालत कर दी है कि सल्फास (जहर) खाकर आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा हूं। इतना कहकर वे अपनी गेहूं से भरी ट्रॉली को वापस लेकर घर चले गए। 

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