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दिग्विजय सिंह ने देशहित में मोदी को बांग्लादेश से सीखने की दी सलाह

बांग्लादेश ने ऐसा क्या किया जो महज 50 साल पहले बने इस छोटे से देश से सबक ले रहा है दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका, जानें दिग्विजय सिंह ने मोदी को बांग्लादेश से सीखने की क्यों सलाह दी
नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश से सीखने की नसीहत दी है। दिग्विजय सिंह ने यह बात ऐसे समय में कही है जब पीएम मोदी करीब 497 दिन बाद अपनी विदेश यात्रा शुरू करने वाले हैं और संयोग से वे सबसे पहले बांग्लादेश की यात्रा करेंगे। दिग्विजय सिंह ने मोदी को बांग्लादेश से सीखने के लिए क्यों कहा, यह समझने के लिए यह जानना होगा कि बांग्लादेश ने ऐसा क्या किया जो आज दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका भी उससे सबक ले रहा है।

दिग्विजय सिंह ने मशहूर अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की एक खबर साझा की है। इसके साथ उन्होंने लिखा, ‘मोदी जी को बांग्लादेश से कुछ सीख लेना चाहिए। इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के साथ ही साथ ह्यूमन डेवेलपमेंट में भी निवेश करना चाहिए, ताकि हमारा ह्यूमन डेवेलपमेंट इंडेक्स बेहतर हो सके। कोरोना संकट काल के दौरान भी बांग्लादेश का जीडीपी पॉजिटिव रहा। मोदी जी क्या आप सुन रहे हैं?’
दिग्विजय सिंह ने इसके साथ ही तंज भी कसा है। उन्होंने मोदी को गरीब विरोधी करार देते हुए पूछा कि मोदी भक्तों कुछ समझ में आया? कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि, ‘जब आप हमें ताली और थाली बजाने के लिए कह रहे थे, दिया जलाने, मोबाइल की फ़्लैश लाइट जलाने और घर की बत्तियां बुझाने के लिए कह रहे थे, तब बांग्लादेश में गरीबों, मजदूरों और वंचित तबकों की मदद के लिए सकारात्मक कदम उठाए जा रहे थे। जबकि आप इस दौरान अपने कॉरपोरेट मित्रों की मदद में जुटे थे, ताकि उनकी बैलेंस शीट सुधर सके।’

बांग्लादेश से क्यों है सीखने की जरूरत
अब सवाल यह है कि आखिर बांग्लादेश ने ऐसा क्या किया है कि अमेरिका और भारत जैसे बड़े देश उससे सीख सकते हैं? 21वीं सदी के शुरुआत में जिस बांग्लादेश को होपलेस यानी बेहद निराशाजनक स्थिति में फंसा देश समझा जाता था, उसने पिछले कुछ वर्षों में ऐसा क्या कर दिया? दरअसल, जिस पड़ोसी देश बांग्लादेश को भारत की मदद से आजादी मिली थी, वह आज अपने नागरिकों के विकास के मामले में भारत से आगे है। पिछले एक दशक से बांग्लादेश की जीडीपी विकास दर लगातार 7-8 फीसदी रही है, जो चीन जैसे बड़े और ताकतवर देश से भी बेहतर है। कोरोना संकट काल के दौरान जब भारत समेत दुनिया के कई देशों की ग्रोथ रेट निगेटिव हो गई थी, तब भी बांग्लादेश की ग्रोथ रेट पॉजिटिव बनी रही।
कोरोना महामारी के दौर में अमेरिका की सत्ता संभालने वाले राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार अपने यहां गरीबी की समस्या से निपटने के लिए बांग्लादेश का मॉडल अपनाने जा रही है। दुनिया का सबसे ताकतवर देश, सबसे पुराना लोकतंत्र आज बांग्लादेश जैसे छोटे देश से सबक ले रहा है। इसका एकमात्र कारण है बांग्लादेश द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीब नागरिकों के उत्थान के लिए बड़े पैमाने पर किया गया निवेश।
बांग्लादेश अपने बजट का ज्यादातर हिस्सा कॉरपोरेट और उद्योगपतियों पर खर्च करने की बजाय देश के आम नागरिकों के हित में निवेश करता है। विशेषज्ञ भी इस बात से सहमति जताते हैं कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए और देश का विकास करने के लिए सबसे ज्यादा तवज्जो विकास के आखिरी पायदान पर खड़े लोगों को देने की जरूरत है। क्योंकि ऐसा करने का सीधा असर देश की विकास दर पर पड़ता है। कई जानकारों का मानना है कि भारत की जीडीपी विकास दर में आई गिरावट को दूर करने के लिए भी उद्योगपतियों के हितों में नीतियां बनाने की बजाय आम गरीब-मज़दूर के हक में कार्यक्रम चलाने की ज़रूरत है। क्योंकि विकास की सीढ़ी में सबसे नीचे खड़े व्यक्ति की माली हालत में सुधार होने पर विकास दर में सबसे ज्यादा तेज़ी आती है। यही वजह है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह इस बात की ओर ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं कि बांग्लादेश के मॉडल से जब अमेरिका सबक ले सकता है, तो भारत क्यों अपने पड़ोसी मुल्क से कुछ सीख नहीं सकता?
बांग्लादेश से ही शुरू होगी मोदी की विदेश यात्रा
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल में पहली बार इतने लंबे समय तक विदेश यात्राएं नहीं कर पाए हैं। पूरे 497 दिन बाद वे पहली विदेश यात्रा बांग्लादेश की करने जा रहे हैं। पीएम मोदी 26-27 मार्च को बांग्लादेश में रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान बांग्लादेश की राजधानी ढाका और पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के बीच यात्री ट्रेन सेवा को हरी झंडी भी दिखाएंगे। बंग्लादेश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर भी पीएम मोदी का मुख्य फोकस होगा। लेकिन अगर वे चाहें तो अपनी इस यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह के सुझाव पर अमल करके भारत के कमजोर तबकों की हालत सुधारने के ठोस उपायों के बारे में भी अपने पड़ोसी देश से कुछ सीख सकते हैं।