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कांग्रेस का वचन पत्र- कीर, मीना, पारधी को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित किया जाएगा एवं खैरवा गौड़, उराव और मांझी को भी न्याय व संरक्षण मिलेगा
कीर, मीना, पारधी को अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित कराने की कार्यवाही करेंगे और गुना जिले के खैरवा गौड़, अनूपपुर के उराव तथा मांझी समाज को न्याय एवं संरक्षण के लिए हम वचनबद्ध है, यह कहना है कांग्रेस पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का।
आदिवासी देश की कुल आबादी का 8.14% हैं, और देश के क्षेत्रफल के करीब 15% भाग पर निवास करते हैं। यह वास्तविकता है कि आदिवासी लोगों पर विशेष ध्यान की जरूरत है, जिससे उनके निम्न सामाजिक, आर्थिक और भागीदारी संकेतकों में किया जा सकता है। चाहे वह मातृ और बाल मृत्यु दर हो, या कृषि सम्पदा या पेय जल और बिजली तक पहुंच हो, आदिवासी समुदाय आम आबादी से बहुत पिछड़े हुए हैं। आदिवासी आबादी का 52% गरीबी की रेखा के नीचे है और चौंका देने वाली बात यह है कि 54% आदिवासियों की आर्थिक सम्पदा जैसे संचार और परिवहन तक कोई पहुंच ही नहीं है। लेकिन कमलनाथ हमेशा से इस तबके को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रयासरत रहे है।
भारत का संविधान अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित नहीं करता है, इसके लिए अनुच्छेद 366(25) अनुसूचित जनजातियों का संदर्भ उन समुदायों के रूप में करता है जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार अनुसूचित किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियाँ वे आदिवासी या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासियों और आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा इस प्रकार घोषित किया गया है। अनुसूचित जनजातियाँ देश भर में, मुख्यतया वनों और पहाड़ी इलाकों में फैली हुई हैं।
इन समुदायों की मुख्य विशेषताएं हैं:
- आदिम लक्षण
- भौगोलिक अलगाव
- विशिष्ट संस्कृति
- बाहरी समुदाय के साथ संपर्क करने में संकोच
- आर्थिक रूप से पिछडापन
देश के अन्य तबके की अपेक्षा यह तबका बहुत ही पिछड़ा हुआ है। इसके लिए कांग्रेस सरकारों ने हमेशा संघर्ष किया है। पिछली जनगणना के आंकड़े दर्शाते हैं कि अनुसूचित जनजाति आबादियों का 42.02% मुख्य रूप से कामगार थे जिनमें से 54.50 प्रतिशत किसान और 32.69 प्रतिशत कृषि श्रमिक थे। इस तरह, इन समुदायों में से करीब 87% कामगार प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधियों में लगे थे।
भारत के संविधान में अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक और आर्थिक हित और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषणों से उनकी रक्षा के लिए विशेष प्रावधान हैं। इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए एक रणनीति बनाई गई है जिसका नाम आदिवासी उप-योजना रणनीति है, जिसे पाँचवी पंचवर्षीय योजना के शुरू में अपनाया गया था। इस रणनीति का उद्देश्य राज्य योजना के आवंटनों, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, वित्तीय और विकास संस्थानों की योजनाओं/कार्यक्रमों में आदिवासी विकास के लिए निधियों के पर्याप्त प्रवाह को सुनिश्चित करना है।
कमलनाथ सरकार ने उक्त विषय की गंभीरता को हमेशा से समझा है क्योंकि वह स्वमं आदिवासी क्षेत्र से आते है और उन्होंने इसके लिए कार्य भी किया है।