गृह मंत्री के बयान पर विवाद के बाद सीएम का डैमेज कंट्रोल, शराब की दुकानें खोलने पर फ़िलहाल कोई फ़ैसला नहीं

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि वे राज्य में शराब की ज्यादा से ज्यादा दुकानें खोले जाने के पक्ष में हैं, जिस पर कांग्रेस ने तीखा हमला किया है।

भोपाल। मध्य प्रदेश में इस समय नई शराब दुकानें खोले जाने को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश में अधिक से अधिक शराब की दुकानों को खोलने को लेकर दिए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बयान के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अब तक राज्य सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। 

शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि प्रदेश में माफियाओं को दफन करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। शराब की दुकानों को खोलने या न खोलने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। शिवराज ने कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा कि वो तो कौवा कान ले गया, कौवा कान ले गया करते हैं। ,अब कौवा है कि कान है यही पता नहीं, इसलिए कुछ भी कहते रहते हैं। तथ्य आते हैं उन पर बात होती है। मैंने ही शराब की दुकानों पर शिकंजा कसा था। दस सालों तक एक भी नई शराब की दुकान नहीं खोली थी। तथ्य आते हैं, उन पर चर्चा कर के प्रदेश की जनता के हित में ही कोई निर्णय लिया जाएगा। 

गोलमोल बातें करने से कुछ नहीं होगा: नरेंद्र सलूजा, प्रवक्ता कांग्रेस

मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने मुख्यमंत्री के इस बयान पर निशाना साधते हुए कहा है कि शिवराज जी गोलमोल बातें करने से कुछ नहीं होगा। स्पष्ट करिए कि प्रदेश में नई शराब की दुकाने नहीं खुलेगी? सलूजा ने मुख्यमंत्री के बयान का उल्लेख करते हुए कहा, इसका मतलब कोई गोलमाल है?  

असली बॉस कौन नरोत्तम या शिवराज: सलूजा 

इसके साथ ही नरेंद्र सलूजा ने प्रदेश सरकार में नंबर दो के नेता नरोत्तम मिश्रा के आज के बयान पर भी हमला बोला। सलूजा ने कहा कि एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री कांग्रेस के विरोध को देखते हुए कह रहे हैं कि नई शराब की दुकान अभी नहीं खोलेंगे। वहीं नरोत्तम मिश्रा आज भी कह रहे हैं कि हम नई शराब की दुकान बढ़ाएंगे। आखिर सरकार का मुखिया कौन है?

गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि वे मंगलवार को दिए अपने एक बयान पर कायम हैं जिसमें उन्होंने प्रदेश में अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए शराब की नई दुकानें खोले जाने का सुझाव दिया था। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में प्रति एक लाख आबादी पर केवल चार दुकाने हैं। जबकि पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में 21, राजस्थान में 17 और उत्तर प्रदेश में प्रति एक लाख आबादी पर 12 दुकानें हैं। मिश्रा ने कहा कि यही असमानता और विसंगति पड़ोस के राज्यों को अमानक शराब को राज्य में लाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। लिहाज़ा  शराब की दुकानें बढ़नी चाहिए और ज़्यादा दूरी पर नहीं होनी चाहिए।

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