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छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार की ‘गौ न्याय योजना’ जैसी प्रदेश में प्रारम्भ होगी ‘गौ-धन सेवा योजना’- कमलनाथ
शिवराज सरकार ने जिन गौ सेवकों को हटा दिया था, ली जाएँगी उनकी सेवाएं।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में गौ-संरक्षण अभियान का नाम बदलकर मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना कर दिया था जो कि 11 सितम्बर 2019 से लागू हुआ था। कमल नाथ ने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश में एक हजार गौ-शालाओं के निर्माण कार्य में तेजी लाने और इसे हर हाल में तय समय-सीमा में पूरा करने के कड़े निर्देश दिए थे।
कमलनाथ ने प्रदेश में 1000 गौशालाओं के निर्माण में कार्य में तेजी लाने और इसे हर हाल में तय समय सीमा से पूरा करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा था कि इसके लिए संबंधित विभागों की जवाबदेही तय की जाए और समय-समय पर इसकी समीक्षा भी की जाए। कमलनाथ ने कहा कि अगले वर्ष दिसंबर 2019 तक प्रदेश में 3 हजार गौशालाओं का निर्माण किया जायेगा। इस योजना का नाम ‘गौ-धन सेवा योजना‘ रखा जाना तय हुआ था।
सड़कों पर निराश्रित गायों की रक्षा और आवारा पशुओं के कारण आम आदमी को होने वाली समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से किया जाना इसका मुख्य उद्देश्य था। उन्होंने यह भी कहा था कि गौशालाओं में निर्माण में जो दिक्कतें आ रही हैं वे उनके ध्यान में लाई जाएं ताकि उनका तत्काल निराकरण हो सके। धन की कमी इस काम में आड़े नहीं आनी चाहिए। कमलनाथ ने गौशाला निर्माण एवं इसका संचालन करने वाले ग्रामीण विकास और पशुपालन विभाग में बेहतर तालमेल की आवश्यकता बताई थी, ताकि सभी काम निर्बाध रूप से प्रेरित व्यक्ति से हो सकें। कमलनाथ ने बैठक में गौशालाओं के निर्माण की प्रगति और गौरव संरक्षण के लिए क्षेत्रों द्वारा की गई पहल के बारे में जानकारी प्राप्त करते हुए मंडी बोर्ड के पशुपालन विभाग के लिए मिलने वाली राशि का उपयोग किए जाने पर अपनी सहमति भी प्रदान की थी।
इसके तहत गौ रक्षा एवं संरक्षण के लिए दान देने वाले व्यक्ति को आयकर की धरा 80जी का लाभ मिलने की बात को प्रमुखता से रखा गया था। कमलनाथ ने मंत्रालय में गौ रक्षा और उनके संरक्षण के लिए आमजन द्वारा दिए जाने वाले सहयोग के लिए ऑनलाइन डोनेशन पोर्टल का शुभारंभ किया था जिसे शिवराज सरकार ने ठन्डे बास्ते में लाकर पटक दिया।
कमलनाथ ने अपने वचन पत्र में इस बात को प्रमुखता से रखते हुए कहा है कि हमारी सरकार के आते ही सभी नियमों को दोबारा से लागू किया जायेगा और शिवराज सरकार ने जिन गौ सेवकों को हटा दिया था, उनकी सेवाएं फिर से ली जाएँगी।