अब नई ‘गाइडलाइन’ से मध्य प्रदेश में होगी महिला सुरक्षा

मध्य प्रदेश में हो रहे महिला अपराधों को लेकर पुलिस मुख्यालय सख्त हो गया है. डीजीपी वीके सिंह ने सभी आईजी को निर्देश जारी कर महिला अपराधों की जांच के लिए टाइम लिमिट बना दी है. यदि समय पर जांच पूरी नहीं हुई, तो अधिकारियों-कर्मचारियों पर गाज गिरेगी. निर्देशों के साथ महिला अपराधों से जुड़ी नई गाइडलाइन भी जारी की गई है.

डीजीपी ने दिया ये निर्देश
प्रदेश में महिला अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने बड़ा फैसला लिया है. डीजीपी वीके सिंह ने गाइडलाइन जारी कर महिला अपराधों की जांच से लेकर पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है. महिला अपराधों की विवेचना में अनावश्‍यक देरी करने और लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के साथ नियमानुसार सजा भी दी जाएगी. नई गाइडलाइन में विवेचनाधीन प्रकरणों की तत्‍परता से विवेचना पूर्ण कर न्‍यायालय से निराकरण कराने पर बल दिया है.

ये है पीएचक्यू की नई गाइडलाइन?

  • महिलाओं के खिलाफ घटित होने वाले यौन अपराधों के प्रकरणों में दो महीने की अ‍वधि में विवेचना पूर्ण करने का वैधानिक प्रावधान है.
  • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्‍याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज प्रकरणों की विवेचना एक महीने में पूरी करनी होगी.
  • महिलाओं के खिलाफ होने वाले जिन अपराधों की विवेचना के लिए कोई स्‍पष्‍ट समय-सीमा निर्धारित नहीं है, उनकी विवेचना भी तीन महीने में पूरी करनी होगी.
  • न्‍यायालय के निर्णय, निर्देश, पुलिस मुख्‍यालय के आदेश और निर्देश के पालन में विवेचना तीन महीने में पूर्ण करनी होगी.
  • जिन प्रकरणों में समय सीमा में विवेचना पूरी नहीं हुई है, उनमें संबंधित पुलिस अधिकारी की जवाबदेही निर्धारित कर उसके खिलाफ विभागीय जांच की जाएगी.
  • आईजी, डीआईजी से लेकर पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक, पुलिस उप अधीक्षक, नगर पु‍लिस अधीक्षक, अनुविभागीय पु‍लिस अधिकारी और थाना प्रभारी की जिम्मेदारी तय की गई है.
  • महिलाओं अपराधों की जांच तीन महीने से आगे जारी रखने के लिए विवेचक थाना प्रभारी को पहले प्रत्‍येक प्रकरण में जिला पुलिस अधीक्षक से अलग-अलग आदेश प्राप्‍त करना होगा.
  • पुलिस अधीक्षक एक बार में अधिक से अधिक एक महीने और अधिकतम तीन बार ( तीन अतिरिक्‍त महीने) तक के लिए विवेचना आगे बढ़ाने की अनुमति दे सकेंगे…
  • छह महीने से अधिक विवेचना जारी रखने के लिए पुलिस अधीक्षक की अनुमति पर रेंज के उप पुलिस महानिरीक्षक एक बार में दो महीने और अधिकतम तीन बार (छह महीने तक) विवेचना जारी रखने की अनुमति दे सकेंगे.
  • एक साल से अधिक विवेचना जारी रखने के लिए क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक एक बार में तीन अतिरिक्‍त माह के लिए अनुमति देने के लिए अधिकृत किए गए हैं.
  • विवेचना की अवधि बढ़ाने से पहले प्रत्‍येक अधिकारी विवेचना की समीक्षा कर पर्यवेक्षण निर्देश जारी करेंगे. साथ ही कारणों सहित स्‍पीकिंग ऑर्डर जारी करना होगा कि किन वजहों से विवेचना की अवधि बढ़ानी जरूरी है.
  • अधीनस्‍थ अधिकारी आदेश की प्रति अपने वरिष्‍ठ अधिकारी को भी भेजेंगे. हर आदेश में विवेचना पूर्ण करने की नई समय-सीमा भी निर्धारित करनी होगी.

ये मिलेगी सजा?
जांच में देरी और लापरवाही सिद्ध होने पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (8) के अधीन और लंबित विवेचना के तहत कार्रवाई होगी. यह उन प्रकरणों पर भी लागू होगा जिन प्रकरणों में आरोपी के खिलाफ गिरफ्तारी योग्‍य साक्ष्‍य होने के बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है और संबंधित न्‍यायालय से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 299 के तहत आरोपी की गैरहाजिरी में सुनवाई करने के लिए निवेदन के साथ चालान पेश किया गया है. यदि आरोपी से कोई जब्‍ती होनी है और फिर साक्ष्‍य बतौर उसका मेडिकल परीक्षण कराया जाना है तो भी विवेचना लंबित ही मानी जाएगी.

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