श्री राम वन गमन पथ प्रोजेक्ट की चर्चा 20 साल से, लेकिन इस पर काम शुरू नहीं

आ, लेकिन सवा साल में ही सरकार गिर गई

भोपाल – विधानसभा चुनाव करीब आते ही भगवान राम एक बार फिर मध्यप्रदेश की राजनीति के केंद्र में आ गए हैं। हालांकि, श्री राम वन गमन पथ प्रोजेक्ट की चर्चा 20 साल से हो रही है, लेकिन इस पर काम शुरू नहीं किया।

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस धार्मिक कॉरिडोर के निर्माण को घोषणा पत्र में शामिल किया। सत्ता मिली तो कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने काम शुरू किया। बजट में 28 करोड़ रुपए का टोकन आवंटन हुआ, लेकिन सवा साल में ही सरकार गिर गई। 2020 में सरकार बदली तो भाजपा ने इसका काम रोक दिया।

2021 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बाकायदा प्रस्ताव पारित कर भाजपा को यह टास्क दिया, लेकिन सरकार ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। अब चुनाव से ठीक छह महीने पहले सरकार को राम वन गमन पथ की याद आई और इसके लिए न्यास बना दिया गया। यह न्यास ही इस परियोजना की देखरेख करेगा। न्यास के गठन और तैयारियों को देखकर कहा जा रहा है कि भगवान राम से जुड़े तीर्थों के विकास से जुड़ी इस योजना से भाजपा चुनावी नैया पार करना चाह रही है।

बाबूलाल गौर के समय से केवल चर्चा, फाइल तक नहीं बनी

मध्यप्रदेश में चित्रकूट से अमरकंटक तक भगवान राम के वनवास से जुड़े तीर्थों को जोड़ने वाली इस परियोजना की चर्चा बहुत पुरानी है। इसकी चर्चा बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्री रहते 2004-05 में शुरू हुई। इस बीच धन की कमी भी आड़े आई। किसी न किसी तरह यह परियोजना टलती रही।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पिछले कार्यकाल में भी परियोजना को लेकर बात हुई, लेकिन ठोस काम नहीं हो पाया। यहां तक कि कोई फाइल भी नहीं बन पाई। धर्मस्व विभाग के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि उन्होंने जब इस परियोजना पर काम शुरू किया, तो उसके पहले का पत्राचार उन्हें नहीं मिला था। इस परियोजना पर चर्चा संबंधी फाइल कम से कम उनकी नजरों के सामने से नहीं गुजरी।

कांग्रेस की सरकार आई तो 600 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र में राम वन गमन पथ के निर्माण का वादा था। सत्ता में आते ही कांग्रेस ने इस पर काम शुरू किया। तत्कालीन धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि 2019 के अपने पहले बजट में इस परियोजना के लिए 30 करोड़ का आवंटन किया। यह टोकन राशि थी।
सड़क विकास निगम से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट कराई गई। इसके तहत भगवान राम के मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश की जगह चित्रकूट से लेकर छत्तीसगढ़ की सीमा अमरकंटक तक रामायण से जुड़े तीर्थों का विकास किया जाना था। सभी तीर्थों को जोड़ते हुए करीब 400-450 किलाेमीटर की एक सड़क बनाई जानी थी।
इस सड़क के किनारे तीर्थयात्रियों के रेस्ट हाउस, कैफेटेरिया आदि का इंतजाम होना था। तीर्थ क्षेत्र में यात्रियों के लिए सुविधाएं मुहैया करानी थीं। सड़क के दोनों किनारों पर पौधरोपण और लैंडस्केप से इसका सौंदर्य बढ़ाना था। यह पूरी परियोजना तीन साल में पूरी होनी थी। यानी कांग्रेस सरकार बनी रहती तो राम वन गमन पथ बहुत हद तक आकार ले चुका होता।

श्रीलंका में सीता मैया का मंदिर भी प्रस्तावित था

पीसी शर्मा कहते हैं कि राम वन गमन पथ श्रीलंका में माता सीता से जुड़े स्थलों के विकास के बिना अधूरा था। ऐसे में कमलनाथ की सरकार ने सीता मंदिर के निर्माण पर भी गंभीरता से काम शुरू किया। वे उस समय धर्मस्व मंत्री थे। उन्होंने धर्मस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव और दूसरे अफसरों के साथ श्रीलंका की यात्रा की। तत्कालीन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से इस पर चर्चा की।
कमलनाथ सरकार में तय हुआ कि श्रीलंका सरकार, मध्यप्रदेश सरकार को वहां माता सीता का मंदिर बनाने की सुविधा देगी। स्थानीय बौद्ध मठ को भी इसके लिए तैयार कर लिया गया था। श्रीलंका को यहां सांची में एक विशाल बौद्ध मंदिर की स्थापना की स्वीकृति दी गई थी। श्रीलंका सरकार इस मठ-मंदिर में 100 करोड़ रुपए का निवेश करने वाली थी। इसके लिए कोलंबो से भोपाल तक की सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ान पर भी सहमति बनी थी, ताकि तीर्थयात्री सीधे सीता जी के मंदिर दर्शन के लिए पहुंच सकें। श्रीलंका के बौद्ध तीर्थयात्री भी वहां से सीधे सांची आ पाते।

अब तक भाजपा सरकार ने क्यों नहीं ली रुचि…?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट ने 4 मई को श्रीराम वन गमन पथ न्यास के गठन को मंजूरी दी है। इससे पहले फरवरी 2023 में धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने न्यास गठन की प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी दी थी। ठाकुर का कहना है कि रामायणकालीन तीर्थों के विकास से जुड़ी यह महत्वपूर्ण परियोजना है। इसको लेकर सरकार गंभीरता से काम कर रही है। इससे जुड़े न्यास का गठन शीघ्र ही कर लिया जाएगा। उसके बाद तेजी से इसका निर्माण किया जाएगा।
यह परियोजना इतने वर्षों से कहां अटकी थी, इस पर मंत्री उषा ठाकुर चुप हैं। जिस संस्कृति विभाग के तहत इस न्यास का गठन किया जाना है, उसके अफसर भी इस पर कुछ बोल नहीं रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा कहते हैं- भाजपा ने भगवान राम के नाम पर केवल राजनीतिक हित साधा है। उस पर ठोस काम करने की इनकी मंशा ही नहीं है। चुनाव देखकर वे न्यास गठन की बात उठा रहे हैं। अब न्यास नहीं, भगवान राम के साथ न्याय करना होगा।

क्या है राम वन गमन पथ

भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास मिला था। अयोध्या छोड़ने के बाद भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ प्रयागराज, चित्रकूट, दंडकारण्य होते हुए पंचवटी तक की यात्रा की थी। पंचवटी से सीता जी का अपहरण हुआ और उनकी तलाश में दोनों भाई वानर दल की सहायता से श्रीलंका तक पहुंच गए। आदि काव्य वाल्मीकि रामायण और श्री रामचरित मानस आदि ग्रंथों के आधार पर विभिन्न संगठनों ने इस पूरे वन गमन पथ के तीर्थों को चिह्नित किया है।
केंद्र सरकार ने 2015 में रामायण सर्किट नाम से परियोजना बनाकर भगवान राम से जुड़े 21 स्थानों को एक कॉरिडोर से जोड़ने और तीर्थों के विकास की योजना बनाई थी। राम से जुड़े जिन ऐतिहासिक स्थलों की पहचान की गई, उनमें यूपी में 5, एमपी में 3, छत्तीसगढ़ में दो, महkराष्ट्र में तीन, आंध्र प्रदेश में दो, केरल में एक, कर्नाटक में एक, तमिलनाडु में दो और श्रीलंका में एक स्थान शामिल था। कई संगठनों ने निजी तौर पर शोध कर जिन तीर्थों की पहचान की थी, उनकी संख्या 248 है।