मप्र में चहेतों के वाहनों को किराये पर लगाकर अधिकारी कर रहे लूट

सरकारी विभागों में प्रायवेट गाड़ियॉं लगाकर हो रहा है लाखों का भ्रष्टाचार

भोपाल, 04 अप्रैल 2023

मध्यप्रदेश में सरकारी वाहनों के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई लुटाई जा रही है, शासकीय नियमों एवं प्रावधानों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए भाजपा सरकार के मंत्रियों का स्टाफ एवं उनके विभागों के अधिकारियों को मिले प्रायवेट वाहनों पर नियम विरूद्ध तरीके से हर माह लाखों रूपये की राशि खर्च की जा रही है।
मप्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं प्रभारी समस्त प्रकोष्ठ जे.पी. धनोपिया एवं मप्र कांग्रेस सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ प्रदेश
अध्यक्ष पुनीत टंडन ने एक पत्रकार वार्ता में बताया कि आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों में विशेष सहायक मंत्री लोक निर्माण विभाग मप्र शासन के वाहन इनोवा क्रमांक MP04 BC 5587 / MP 20 CE 1001 का भुगतान 90,355/- रू. एक माह में किया गया, जबकि एक गाड़ी इनोवा किस्टा है, दूसरी फॉर्च्युनर वाहन शामिल है। विशेष सहायक माननीय मंत्री लोक निर्माण विभाग में गाड़ी नंबर MP04 BC 7223 का भुगतान एक माह का रू. 96 हजार 617 रू. किया गया है। जबकि यह गाड़ी भी इनोवा किस्टा है, और ये गाड़ियां आरटीओ की वेबसाईट पर रामनरेश नामक व्यक्ति के प्राईवेट नंबरों पर दर्ज हैं, जबकि नियमानुसार शासकीय कार्यों के लिए टेक्सी कोटे की गाड़ी लगाये जाने का प्रावधान निर्धारित है।
आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज बताते हैं कि किस तरह करोड़ों रुपए की लूट हो रही है। इसमें अधिकारी वर्ग भी शामिल है, जो हर महीने 3000 किलोमीटर तक घूम रहे हैं, जबकि निर्धारित पात्रता 1000 किलोमीटर की है। मंत्रियों के आधा दर्जन से ज्यादा वाहन 7000 किलोमीटर से अधिक तक हर माह चल रहे हैं, जिनका भुगतान भी निर्धारित किराये 47245 रू. के बाद अतिरिक्त लगभग 10 रू. प्रतिकिलोमीटर किया गया जा रहा है।
सबसे पहले वित्त विभाग के सर्कुलर पर नजर डालते हैं। वित्त विभाग के तत्कालीन सचिव द्वारा जारी सर्कुलर उपलब्ध कराया गया है वह वर्ष 2012 का है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि आज भी यही प्रक्रिया लागू है। इसमें शासकीय अधिकारियों को अधिकतम 10 लाख रू. की कीमत वाले वाहनों में चलने की पात्रता है, लेकिन ज्यादातर अधिकारी 20 लाख रू. से ऊपर की गाड़ियों में चल रहे हैं, वहीं 1000 किलोमीटर प्रतिमाह की सीमा तय है, लेकिन अनुबंध पत्रों में 2000 किलोमीटर रखी गई है। कुछ अनुबंध तो 3000 किलोमीटर के किए गए हैं। वहीं मंत्रियों की बात करें तो मंत्रियों को आवंटित वाहनों के अलावा विशेष सहायक और अवर सचिव के नाम से वाहन आवंटित होते हैं, जिनका उपयोग मंत्री कार्यालय के लिए किया जाना अनुबंध में लिखा गया है।
वहीं जल संसाधन विभाग से मिले दस्तावेज में दो वाहन मंत्री जी और एक वाहन राज्यमंत्री के नाम है, एक वाहन अवर सचिव को आवंटित वाहन का उपयोग मंत्री कार्यालय के लिए है, ऐसा अनुबंध में उल्लेख है। अनुबंध अनुसार एक ही कार्यालय में एक कार्यपालन यंत्री 54 हजार रू. गाड़ी का भुगतान करते हैं, वहीं उसी कार्यालय में एक कार्यपालन यंत्री द्वारा 27500 रू. भुगतान किया जाता है। वहीं जल संसाधन विभाग से प्राप्त बिल जिसमें गाड़ी नंबर MP04 BC 6074 वर्ष 01.01.2022 से 31.01.2022 तक एक माह के लिए 2000 किलोमीटर तक का भुगतान 59448 रू. निर्धारित है, इसके अलावा अतिरिक्त चलने पर 16 रू. प्रति किलोमीटर के मान से 4890 किलोमीटर अतिरिक्त चलाकर उसका भुगतान 78240 रू. अतिरिक्त के साथ कुल भुगतान 1037688 रू. किया गया है। साथ ही गाड़ी नंबर MP09 BC 6675 जिसका अनुबंध के अनुसार एक माह का 84520 रू. भुगतान किया गया है। इसी तरह MP04 TB 6074 जिसका भुगतान निर्धारित किराये 84520 के साथ अतिरिक्त 1538 किलोमीटर का भुगतान लगभग 19.50 रू. के मान से 29991 रू. अतिरिक्त के साथ कुल भुगतान 114511 रू. किया गया, जबकि एक तरफ लोक निर्माण विभाग गाडी अतिरिक्त चलने पर प्रतिकिलोमीटर 9.90 रू. कर रहा है, वहीं जल संसाधन विभाग द्वारा अतिरिक्त चलने पर 16 एवं 19.90 रू. प्रतिकिलोमीटर की दर से भुगतान किया जा रहा है विभागों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार का कहीं न कहीं एक बड़ी जांच का विषय है।
शासन के नियमों और प्रावधानों का खुला उल्लंघन हो रहा है। जनता के पैसे का खुला दुरुपयोग हो रहा है। एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार पर करोड़ों रुपए का कर्ज है, उसके बाद शासन में बैठे अधिकारियों द्वारा जनता के पैसे का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि फर्जी बिलों के माध्यम से भी करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हो रहा है, जिन अधिकारियों को पात्रता नहीं है उसके बाद भी मनमर्जी से लाखों रुपए महीने का भुगतान कर रहे हैं।