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मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस में साढ़े तीन साल बाद वीडियो की सीडी भोपाल कोर्ट में पेश
इसे सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी ने ओके किया, यानी अब मुहर लग गई है कि ये वीडियो ओरिजिनल हैं
भोपाल – मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस में साढ़े तीन साल बाद वीडियो की सीडी आखिर भोपाल की कोर्ट में पेश कर दी गई। इस केस में यह पहली सीडी है जो पहली बार कोर्ट को दी गई। इसे सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी ने ओके किया है, यानी अब मुहर लग गई है कि ये वीडियो ओरिजिनल ही हैं।
स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने कोर्ट में ये अर्जी भी दी है कि ये तमाम वीडियो अंतरंग हैं। इसलिए केस की सुनवाई बंद चैंबर में की जाएं। चैंबर में न्यायाधीश और दोनों पक्षों के वकीलों के अलावा किसी और को अनुमति न दी जाएं। SIT ने यह भी आग्रह किया है कि बचाव पक्ष के लोगों को ये वीडियो उपलब्ध नहीं कराए जाएं। यह सीडी हनी ट्रैप में आरोपी बनाई गई एक युवती की है। उसके साथ जिन लोगों ने संबंध बनाए थे, वह भी सीडी में दिखाई दे रहे हैं। कहा जा रहा है इसमें कुछ नेता और अफसरों के नाम भी हो सकते हैं। इस युवती के खिलाफ 17 सितंबर 2019 को इंदौर में हनी ट्रैप का केस दर्ज हुआ था। लेकिन युवती के पिता ने भोापाल में क्रास FIR कराते हुए आरोप लगाया था कि उसकी बेटी छोटे शहर की है, उसे भोपाल की कुछ युवतियों ने फंसाकर गलत काम में इनवॉल्व कर लिया। इन युवतियों के दबाव में ही मेरी बेटी ने शारीरिक संबंध बनाए थे।
एसआईटी ने हनी ट्रैप के इस केस में भोपाल की श्वेता विजय जैन और आरती दयाल के खिलाफ मानव तस्करी का केस दर्ज किया। इनवेस्टिगेशन के बाद 15 मई को कोर्ट में सीडी पेश की गई।
SIT हेड एडीजी विपिन माहेश्वरी के पत्र के साथ वीडियो वाली ये हार्ड डिस्क भोपाल में जज स्मृता सिंह ठाकुर की कोर्ट में पेश की गई। श्वेता और आरती के वॉयस सैंपल लेने के लिए भी कोर्ट में आवेदन लगाया है। कोर्ट इस पर 18 मई (गुरुवार) को सुनवाई करेगी।
कोर्ट में पेश किए गए वीडियो में क्या है…?
हनी ट्रैप मामले में मानव तस्करी से जुड़ा एक केस भोपाल में दर्ज किया गया था। इसमें कहा गया था कि एक कॉलेज छात्रा को श्वेता जैन, आरती दयाल सहित कुछ लोगों ने अपने चंगुल में फंसाकर उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। इस छात्रा को चुने हुए लोगों के पास भेजकर उसके अंतरंग वीडियो बनाए गए। ये वीडियो आरोपियों से जब्त इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में सुरक्षित रखे गए थे। इनकी सच्चाई जानने के लिए एसआईटी ने ये वीडियो CFSL को भेजे। CFSL ने रिपोर्ट में यह भी बताया है कि कौन सा वीडियो किस तारीख को बनाया गया है।
ऐसे 5 से ज्यादा अंतरंग पलों के वीडियो इस हार्ड डिस्क में बताए जा रहे हैं। इन वीडियो के आधार पर एसआईटी कोर्ट में ये प्रमाणित करने की कोशिश करेगी कि छात्रा को अलग-अलग लोगों के पास भेजकर उनके अंतरंग पलों के वीडियो रिकॉर्ड किए जा रहे थे। छात्रा ने शुरुआती बयान में कबूल किया था कि उसे प्रभावशाली लोगों के पास भेजकर उसके वीडियो बनाए जा रहे थे। ये वीडियो दिखाकर लोगों से पैसों की डिमांड की जाती थी, लेकिन बाद में वह बयान से पलट गई। उसने कोर्ट को बताया कि पुलिस के दबाव में उसने ऐसा कहा था।
हाईकोर्ट ने कहा था– इंदौर नगर निगम के इंजीनियर के वीडियो आरोपियों को नहीं मिलेंगे
श्वेता, आरती सहित आरोपियों के वकीलों रहे यावर खान ने बताया कि हनी ट्रैप मामला इंदौर जिला कोर्ट में भी विचाराधीन है। जिला न्यायालय इंदौर ने हार्ड डिस्क की एक-एक प्रति आरोपी को दिलाने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ पुलिस (एसआईटी) ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
हाईकोर्ट के जस्टिस सुबोध के आदेश अनुसार फरियादी शिकायतकर्ता ( इंदौर नगर निगम का इंजीनियर हरभजन) से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक गैजेट सीडी की प्रति आरोपियों को नहीं दी जाएगी। अन्य सभी पैन ड्राइव व इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की क्लोन (कॉपी) हर आरोपियों को भी देनी होगी।